
संत का मौन
एक बार किसी गांव में एक सन्त आये और झोपड़ी बना कर रहने लगे। लोगों से उनका बहुत मतलब नहीं
एक बार किसी गांव में एक सन्त आये और झोपड़ी बना कर रहने लगे। लोगों से उनका बहुत मतलब नहीं
परमात्मा जब द्वार पर पधारते हैं, तो तीन वस्तुएँ माँगते हैं तीन कदम पृथ्वी अर्थात् तन,मन और धन, इन तीनों
हजार फणों वाले शेषनाग भगवान श्रीहरि के परम भक्त हैं।वे अपने एक हजार मुखों और दो हजार जिह्वाओं (सांप के
एक असुर था, दम्बोद्भव। उसने सूर्यदेव की बड़ी तपस्या की। सूर्य देव जब प्रसन्न होकर प्रकट हुए और वरदान मांगने
मीरा का मार्ग था प्रेम का, पर कृष्ण और मीरा के बीच अंतर था पाच हजार साल का। फिर यह
जीवन का अंतिम सत्य भगवान राम जानते थे कि उनकी मृत्यु का समय हो गया है। वह जानते थे कि
सांदिपनि ने सिखाई योग शक्ति से कुण्डलिनी जागृत करने की विद्या | गुरु सांदिपनि श्री कृष्ण और बलराम को कुण्डलिनी
एक बार देवर्षि नारद भगवान विष्णु के पास गये और प्रणाम करते हुए बोले, ‘हे लक्ष्मीपते, हे कमलनयन ! कृपा
प्रकृति के उत्पन्न तीनों गुण आपके व हमारे शरीर से चाहे जितने भी निम्नकोटि के अथवा उच्चकोटि के पाप या
“बेटा! थोड़ा खाना खाकर जा ..!! दो दिन से तुने कुछ खाया नहीं है।” लाचार माता के शब्द है अपने