सिकन्दरकी मातृभक्ति
कहते हैं कि सिकन्दर अपने मित्रोंको अत्यन्त प्यार करता था। पर उसकी मातृभक्ति इतनी प्रबल थी कि वह उनसे हजारगुना
कहते हैं कि सिकन्दर अपने मित्रोंको अत्यन्त प्यार करता था। पर उसकी मातृभक्ति इतनी प्रबल थी कि वह उनसे हजारगुना
महात्मा नूहको दीर्घायु मिली थी ! पूरे एक हजार वर्षतक वे जीवित रहे, अन्तमें उनका शरीर छूटा और वे स्वर्ग
प्राचीन कालमें एक सियार और एक वानर मित्र भावसे एक ही स्थानपर रहते थे। दोनोंको अपने पूर्व जन्मका स्मरण था।
मध्यकालीन भक्त संत कुम्भनदासका जीवन समग्ररूपसे श्रीकृष्णके चरणारविन्दमें समर्पित था। वे उच्चकोटिके त्यागी थे। व्रजके निकट जमुनावतो ग्राममें खेती कर
मुफ्त कुछ नहीं होता ‘जब कोई चीज मुफ्तमें मिल रही है तो समझ लीजिये, आपको अपनी स्वतन्त्रता देकर इसकी कीमत
इंगलैंडका चतुर्थ हेनरीका ज्येष्ठपुत्र, जो आगे हेनरी पञ्चम नामसे प्रसिद्ध हुआ, बड़ा ही शूरवीर और राजकाजमें भी अत्यन्त दक्ष था।
अनूठी विरक्ति दक्षिण भारतके एक राज्य के अधिपति पीपा परम सदाचारी और धर्मात्मा थे। प्रजाकी सेवामें तत्पर रहने के साथ-साथ
सत्य ही धर्म है महान् सन्त गुरु नानकदेवजी एक बार सद्विचारोंका प्रचार करते हुए एक नगरमें पहुँचे। वहाँ शाह शरफ
प्रलोभनसे अविचलित रहनेका गौरव-बोध सौराष्ट्रके एक छोटे से राज्यकी पुराने जमानेकी बात है। बन्दरगाहके अधिकारके विषयमें अंग्रेजोंके साथ एक शर्तनामा
एक गाँवमें एक साधु आये। उन्हें पता लगा कि गाँवमें एक ऐसा व्यक्ति है जो किसी प्रकारके आचार विचार, व्रत