सहनशीलता (2)
महात्मा गांधीजी उन दिनों चम्पारनमें थे। एक दिन वे वहाँसे बेतिया जा रहे थे। रातका समय था, ट्रेन खाली थी।
महात्मा गांधीजी उन दिनों चम्पारनमें थे। एक दिन वे वहाँसे बेतिया जा रहे थे। रातका समय था, ट्रेन खाली थी।
माँका दिल एक स्त्री थी। उसके पाँच बेटे थे। वह अपने पाँचों बेटोंको बहुत मानती थी। उसके बेटे भी आपसमें
पूज्यपाद गोस्वामी श्रीगुल्लूजी देववाणी – संस्कृत, हिंदी या व्रजभाषाको छोड़कर दूसरी भाषाका एक शब्द भी नहीं बोलते थे। उन्होंने एक
महाभारतका युद्ध निश्चित हो गया था। दोनों पक्ष अपने अपने मित्रों, सम्बन्धियों, सहायकोंको एकत्र करनेमें लग गये थे। श्रीकृष्णचन्द्र पाण्डवोंके
गिद्ध और कौवे भयंकर गर्मी पड़ रही थी। एक नदीके किनारेपर पानी पीनेके लिये एक तरफसे शेर आया, दूसरी तरफसे
कुरुक्षेत्रमें मुगल नामके एक ऋषि थे। वे धर्मात्मा, जितेन्द्रिय और सत्यनिष्ठ थे ईर्ष्या और क्रोधका उनमें नाम भी नहीं था।
बादशाह जहाँगीरमें चाहे जितनी दुर्बलताएँ रही हों; किंतु वह प्रजावत्सल एवं न्यायप्रिय शासक था, इस बातको उसके शत्रु भी अस्वीकार
ऋणानुबन्ध जब शहरी लोग वातानुकूलित कक्षों या कूलरमें बैठे अड़तालीस डिग्री हो गये तापक्रम और ग्लोबल वार्मिंगपर बहस कर रहे