
अपरिग्रह
संत अफ्ररायतका जीवन अत्यन्त सरल था, वे बड़ी पवित्रतासे रहते थे। अपनी जन्मभूमि फारसका परित्याग कर वे सीरिया चले आये
संत अफ्ररायतका जीवन अत्यन्त सरल था, वे बड़ी पवित्रतासे रहते थे। अपनी जन्मभूमि फारसका परित्याग कर वे सीरिया चले आये
पाण्डव वनवासका जीवन व्यतीत कर रहे थे। भगवान् व्यासकी प्रेरणासे अर्जुन अपने भाइयोंकी आजा लेकर तपस्या करने गये तप करके
ब्राह्मणके धनका हरण नहीं करना चाहिये प्राचीन कालमें एक स्थानपर एक सियार और एक वानर रहते थे। दोनोंको अपने पूर्वजन्मकी
मनुष्य कैसा भी हो, उसमें कुछ-न-कुछ दुर्बलता भी होती ही है। देवप्रिय सम्राट् अशोकमें अपार सद्गुण थे; साथ ही एक
एक समय स्वामी विवेकानन्दको इस बातका बड़ा दुःख हुआ कि उन्होंने अभीतक ईश्वरका दर्शन नहीं किया, भगवान्की अनुभूति नहीं प्राप्त
(3) इसे तो फर्क पड़ेगा न ! एक झेनगुरु समुद्रतटपर टहल रहे थे। तभी जोरका तूफान आया और समुद्रकी लहरोंके
सीख एक गुरुकी उत्तर भारतके पहाड़ी इलाकेमें एक गुरुका आश्रम था। उनके पास सुदूर क्षेत्रोंसे शिष्य शिक्षा ग्रहण करने आते
श्रीधाम पुरीके ‘बड़े बाबाजी’ सिद्ध श्रीरामरमण दासजीके विद्यार्थी जीवनका नाम राइचरण था। उस समय इनकी अवस्था दस-बारह वर्षकी थी। इस
प्रसादो जगदीशस्य अन्नपानादिकं च यत् । ब्रह्मवन्निर्विकारं हि यथा विष्णुस्तथैव तत् ॥ नरेशका हृदय जला जा रहा था। वे मन-ही
गढ़मण्डलके राजा पीपाजी राज-काज छोड़ रामानन्द स्वामीके शिष्य बने और उनकी आज्ञासे द्वारकामें हरि दर्शनार्थ गये। दर्शन करके अपनी पत्नीसहित