
बिगानी छाछपर मूँछें
बिगानी छाछपर मूँछें एक समयकी बात है। एक किसान किसी दूरके गाँवमें भैंस खरीदनेके लिये गया। उस समय गाँवोंमें न
बिगानी छाछपर मूँछें एक समयकी बात है। एक किसान किसी दूरके गाँवमें भैंस खरीदनेके लिये गया। उस समय गाँवोंमें न
प्रार्थना ‘आत्माका भोजन’ प्रार्थना-सभाके बाद एक वकीलने महात्मा गाँधीसे ‘आप प्रार्थनामें जितना समय व्यतीत करते हैं, पूछा, अगर उतना ही
मिथिला नरेश महाराज जनककी सभामें शास्त्रोंके मर्मज्ञ सुप्रसिद्ध विद्वानोंका समुदाय एकत्र था। अनेक वेदज्ञ ब्राह्मण थे। बहुत-से दार्शनिक मुनिगण थे।
करम प्रधान बिस्व करि राखा’ श्रीरामचन्द्रजीको वनमें गये छठी रात बीत रही थी। जब आधी रात हुई, तब राजा दशरथको
संतका मौन बहुत बड़ा और दिव्य भूषण है। वाणीके मौनसे संतोंने आश्चर्यजनक बड़े-बड़े कार्योंका सम्पादन किया है। ग्यारहवीं शताब्दीके दूसरे
आत्मविश्वास जिम कॉर्बेट एक महान शिकारी ही नहीं, बल्कि एक जीवट भरे इंसान भी थे। एक बार वे हैजेसे पीड़ित
राजा जनकने पञ्चशिख मुनिसे वृद्धावस्था और मृत्युसे बचनेका उपाय पूछा। तब पञ्चशिखने कहा- ‘कोई भी मनुष्य जरा और मृत्युसे नहीं
एक संत कहीं जा रहे थे। एक दुष्ट व्यक्ति उन्हें गालियाँ देता हुआ उनके पीछे-पीछे चल रहा था। संतने उससे
द्रोणाचार्य पाण्डव एवं कौरव राजकुमारोंको अस्त्र शिक्षा दे रहे थे। बीच-बीचमें आचार्य अपने शिष्योंके हस्तलाघव, लक्ष्यवेध, शस्त्र – चालनकी परीक्षा
हाड़-मांसकी देह और ‘मैं’ महर्षि रमणकी आयु तब सत्रह वर्षकी रही होगी। एक बार वे अपने काकाके घरकी छतपर सो