
अनोखा प्रभु-विश्वास और प्रभु-प्रीति
वृत्रासुरने देवराज इन्द्रके साथ महायुद्ध करते हुए उनसे कहा- ‘देवराज! भगवान् विष्णुने मुझे मारनेके लिये तुम्हें आज्ञा दी है, इसलिये
वृत्रासुरने देवराज इन्द्रके साथ महायुद्ध करते हुए उनसे कहा- ‘देवराज! भगवान् विष्णुने मुझे मारनेके लिये तुम्हें आज्ञा दी है, इसलिये
रानी अहल्याबाई वह रानी थी अहल्याबाई। उस अहल्याबाईने बहुत-से यज्ञ-याग आदि करके एक पुत्र प्राप्त किया। पुत्र नन्हा था। रानी
यह प्रसिद्ध है कि कर्ण अपने समयके दानियोंमें सर्वश्रेष्ठ थे। इधर अर्जुनको भी अपनी दानशीलताका बड़ा गर्व था। एक बार
द्वारकाधीश श्रीकृष्णचन्द्र पाण्डवोंके संधि- दूत बनकर आ रहे थे। धृतराष्ट्रके विशेष आदेशसे हस्तिनापुर सजाया गया था। दुःशासनका भवन, जो राजभवनसे
पहले तोलो, फिर बोलो एक बालक एक ज्ञानी पुरुषके पास गया और उनसे कहा- ‘देव! मैं बहुत पढ़ता हूँ, लिखता
प्राज्ञाः पुरुषकारेषु वर्तन्ते दाक्ष्यमाश्रिताः ॥ विद्वान् कुशलताका आश्रय लेकर परिश्रममें ही लगे रहते हैं। The wise rely on skill in
अच्छा कार ड्राइवर एक बार उद्योगपति हेनरी फोर्डने एक कार ड्राइवरके लिये अखबारमें विज्ञापन दिया। तीन व्यक्ति इंटरव्यू लिये आये
अटल मृत्युसे भय कैसा !! एक छोटा-सा गाँव था। उसमें एक ब्राह्मण कुटुम्ब रहता था। ब्राह्मण अत्यन्त दरिद्र था। दिनभर
सोचो, समझो, फिर करो संस्कृत-काव्यपरम्परामें भारवि नामके एक प्रसिद्ध कवि हुए हैं। उनका ‘किरातार्जुनीयम्’ नामसे प्रसिद्ध महाकाव्य है। इसमें महाभारतकी
पर्वतराजकुमारी उमा तपस्या कर रही थीं। उनके जो नित्य आराध्य हैं, वे ठहरे नित्य-निष्काम। उन योगीश्वर चन्द्रमौलिमें कामना होगी और