
चन्द्राकी मरणचन्द्रिका
अरुणोदयका समय था। चन्द्रावती अपनी हवेलीसे बाहर निकली, उसके कटिदेशमें मिट्टीका नवीन कलश ऐसा लगता था मानो भगवान् मोहिनीने अमृत
अरुणोदयका समय था। चन्द्रावती अपनी हवेलीसे बाहर निकली, उसके कटिदेशमें मिट्टीका नवीन कलश ऐसा लगता था मानो भगवान् मोहिनीने अमृत
एक ब्राह्मणके दो पुत्र थे। दोनोंके विधिपूर्वक यज्ञोपवीतादि सभी संस्कार हुए थे। उनमें ब्राह्मणका बड़ा पुत्र तो यज्ञोपवीत संस्कारके पश्चात्
‘अबे ए जोगड़े! खबरदार, मेरी धोतीको छुआ तो ! जरा हटकर जा, मैंने यह धोती पूजाके लिये सुखायी है!’-दस वर्षके
लंबी लाठी कंधेपर रखे, कमरमें तलवार बाँधे • फतहसिंह अपनी स्त्री राजूलाको ससुरालसे विदा कराके | घर जा रहा था।
बिगानी छाछपर मूँछें एक समयकी बात है। एक किसान किसी दूरके गाँवमें भैंस खरीदनेके लिये गया। उस समय गाँवोंमें न
प्रार्थना ‘आत्माका भोजन’ प्रार्थना-सभाके बाद एक वकीलने महात्मा गाँधीसे ‘आप प्रार्थनामें जितना समय व्यतीत करते हैं, पूछा, अगर उतना ही
मिथिला नरेश महाराज जनककी सभामें शास्त्रोंके मर्मज्ञ सुप्रसिद्ध विद्वानोंका समुदाय एकत्र था। अनेक वेदज्ञ ब्राह्मण थे। बहुत-से दार्शनिक मुनिगण थे।
करम प्रधान बिस्व करि राखा’ श्रीरामचन्द्रजीको वनमें गये छठी रात बीत रही थी। जब आधी रात हुई, तब राजा दशरथको
संतका मौन बहुत बड़ा और दिव्य भूषण है। वाणीके मौनसे संतोंने आश्चर्यजनक बड़े-बड़े कार्योंका सम्पादन किया है। ग्यारहवीं शताब्दीके दूसरे