
इसी कुर्सीपर आकर बैठूंगा !
इसी कुर्सीपर आकर बैठूंगा ! ‘अबे लड़के, उठ। आकर बैठ गया इंजीनियर साहबकी कुर्सीपर। ‘ – एक लड़केको उठाते हुए
इसी कुर्सीपर आकर बैठूंगा ! ‘अबे लड़के, उठ। आकर बैठ गया इंजीनियर साहबकी कुर्सीपर। ‘ – एक लड़केको उठाते हुए
मद्रास प्रान्तमें एक रेलका पायंटमैन था। एक दिन वह पायंट पकड़े खड़ा था। दोनों ओरसे दो गाड़ियाँ पूरी तेजीके साथ
‘समस्त जगत् उनके नृत्यसे मोहित होकर नाच रहा है, देव! यदि आप उन्हें न रोकेंगे तो महान् अनर्थ हो सकता
रास्तेकी तलाश एक राजा राजकाजसे मुक्ति चाहते थे। एक दिन उन्होंने राजसिंहासन अपने उत्तराधिकारीको सौंपा और राजमहल छोड़कर चल पड़े।
परम्परा एवं रूढ़ि परम्पराओंके जन्म और दीर्घजीवी होनेके विषय में सचेत करती हुई एक झेन कथा कहती है कि एक
महात्मा गांधीजी उन दिनों चम्पारनमें थे। एक दिन वे वहाँसे बेतिया जा रहे थे। रातका समय था, ट्रेन खाली थी।
माँका दिल एक स्त्री थी। उसके पाँच बेटे थे। वह अपने पाँचों बेटोंको बहुत मानती थी। उसके बेटे भी आपसमें
विष्णुपदी गंगाजीकी अद्भुत महिमा पूर्वकालकी बात है। चमत्कारपुरमें उत्तम व्रतका पालन करनेवाले चण्डशर्मा नामसे विख्यात एक ब्राह्मण हो गये हैं,
पूज्यपाद गोस्वामी श्रीगुल्लूजी देववाणी – संस्कृत, हिंदी या व्रजभाषाको छोड़कर दूसरी भाषाका एक शब्द भी नहीं बोलते थे। उन्होंने एक
महाभारतका युद्ध निश्चित हो गया था। दोनों पक्ष अपने अपने मित्रों, सम्बन्धियों, सहायकोंको एकत्र करनेमें लग गये थे। श्रीकृष्णचन्द्र पाण्डवोंके