
जाकी रही भावना जैसी
‘जाकी रही भावना जैसी’ एकबार संगीताचार्य तानसेनने एक भजन यशोदा प्रतिदिन कहती हैं।’ गाया- जसुदा बार बार यों भाखै। है
‘जाकी रही भावना जैसी’ एकबार संगीताचार्य तानसेनने एक भजन यशोदा प्रतिदिन कहती हैं।’ गाया- जसुदा बार बार यों भाखै। है
इंगलैंडको प्रसिद्ध संस्था ‘रॉयल एकडेमी की चित्र सजानेवाली समितिको बैठक हो रही थी। एकडेमी हालमें सुसज्जित करनेके लिये देश-विदेशके चित्रकारोंने
रूसो उस समय बालक था। रविवार के दिन पाठशालाकी छुट्टीमें उसे अपने चाचाके यहाँ गये बिना चैन नहीं पड़ती थी।
अभिमन्युनन्दन राजा परीक्षित बड़े धर्मात्मा थे। एक दिन इन्हें मालूम हुआ कि मेरे राज्यमें कलियुग आ गया है। बस, ये
तीसरी कथा – बछड़ों (गोवत्सों ) – की सीख एक दिनकी बात है, जब भगवान् श्रीराम सीताजीके साथ चित्रशाला में
गिद्ध और कौवे भयंकर गर्मी पड़ रही थी। एक नदीके किनारेपर पानी पीनेके लिये एक तरफसे शेर आया, दूसरी तरफसे
लगभग तीन हजार साल पहलेकी बात है। एक समय भगवान् बुद्ध राजगृहमें विहार कर रहे थे । देवदत्त उनसे ईर्ष्या
किसी राजाके चार रानियाँ थीं। एक दिन प्रसन्न होकर राजाने उन्हें एक-एक वरदान माँगनेको कहा। रानियोंने कह दिया- ‘दूसरे किसी
जैसा क्रोध, वैसा उपचार एक स्त्रीको जरा-जरा-सी बातपर गुस्सा आता था। उसके इस स्वभावसे घर-परिवारके लोग बहुत परेशान रहते थे।
लक्ष्य तो निर्धारित करो! गोविन्द एक छोटी-सी दुकानसे अपना घर-खर्च चलाता था। न उसके पास जमा करनेलायक बचता था, न