सोनेका दान
एक धनी सेठने सोनेसे तुलादान किया। गरीबोंको खूब सोना बाँटा गया। उसी गाँवमें एक संत रहते थे। सेठने उनको भी
एक धनी सेठने सोनेसे तुलादान किया। गरीबोंको खूब सोना बाँटा गया। उसी गाँवमें एक संत रहते थे। सेठने उनको भी
कर भला, तो हो भला बेंजामिन फ्रैंकलिनने एक धनी व्यक्तिकी मेजपर बीस डॉलरकी सोनेकी गिन्नी रखते हुए कहा- ‘आपने बिगड़े
सत्यको न समझ पानेकी आत्मघाती विडम्बना किसी गाँव कन्फ्यूशियस शिष्यसहित पधारे। गाँवकेपाँच युवक एक अन्धेको पकड़कर उनके पास लाये। उनमेंसे
संत खैयास अपने शिष्यके साथ वनमें जा रहे थे। नमाजका समय हुआ और झरनेके पानीसे ‘वजू’ करके दोनोंने चद्दर बिछायी,
किसी ग्राममें एक विद्वान् स्त्री-पुरुष तथा उनके दो बच्चे रहते थे। बड़ा लड़का शान्त स्वभावका, पठनशील और विचारप्रिय था। छोटा
परमहंस रामकृष्णदेवके भक्त शिष्य डा0 दुर्गाचरण नाग आदर्श पुरुष । एक समय वे अपने देशमें थे। पुआलसे छाये हुए घरकी
करमान देशके राजा बड़े भक्त और ईश्वर विश्वासी थे। उनके एक परम भक्तिमती सुन्दरी कन्या थी। राजाने निश्चय किया था
एक सज्जन बड़े ही दानी थे, उनका हाथ सदा ही ऊँचा रहता था; परंतु वे किसीकी ओर नजर उठाकर देखते
प्राचीन समयकी बात है। सिंहकेतु नामक एक पञ्चालदेशीय राजकुमार अपने सेवकोंको साथ लेकर एक दिन वनमें शिकार खेलने गया। उसके
नींवके पत्थर बात सन् 1928-29 ई0की है। लालबहादुर शास्त्री लोक-सेवक मण्डलकी जिम्मेदारियाँ लेकर इलाहाबाद पहुँचे। छोटा कद, दुबली-पतली काठी, सिरपर