
परिवर्तनशीलके लिये सुख-दुःख क्या मानना
एक सम्पन्न घरके लड़केको डाकुओंने पकड़ लिया और अरबके एक निर्दय व्यक्तिके हाथ बेच दिया। निष्ठुर अरब उस लड़केसे बहुत
एक सम्पन्न घरके लड़केको डाकुओंने पकड़ लिया और अरबके एक निर्दय व्यक्तिके हाथ बेच दिया। निष्ठुर अरब उस लड़केसे बहुत
(9) प्रथम राष्ट्रपति घटना सत्रहवीं शताब्दीकी है। उत्तरी वर्जीनियामें कुछ मित्र किनारे बैठे थे कि उन्होंने एक स्त्रीके रोने-चिल्लानेकी आवाज
प्रेतयोनिकी प्राप्तिके कारण पूर्वकालमें विदूरथ नामसे प्रसिद्ध एक हैहयवंशी राजा हो गये हैं, जो बड़े-बड़े यज्ञ करनेवाले, दानपति तथा प्रत्येक
कोई भी कार्य घटिया ढंगसे मत करना भारतके लब्धप्रतिष्ठ अभियन्ता और समाजसेवी श्रीविश्वेश्वरैयाने अपनी पुस्तक ‘मेरे कामकाजी जीवनके संस्मरण’ में
दान, दया और दमन एक समय देवता, मनुष्य और असुर पितामह प्रजापति ब्रह्माजीके पास शिष्यभावसे विद्या सीखने गये एवं नियमपूर्वक
तू बड़ा बुद्धू है, मोहनदास! गाँधीजी, मोहनदास गाँधी तब कोई तेरह सालके थे। राजकोटके अल्फ्रेड हाईस्कूलमें पढ़ रहे थे। हाईस्कूल
एक फूँककी दुनिया एक बड़े विरक्त, त्यागी सन्त थे । एक व्यक्ति उनका शिष्य हो गया। वह बहुत पढ़ा-लिखा था
उपकार मानो, एहसान न जताओ भूदेव बाबू कोलकाताके जाने-माने समाजसेवी थे। वे भगवान् शंकरके परम भक्त थे। गरीबों असहायोंकी भरपूर
मिथिला नरेश महाराज जनककी सभामें शास्त्रोंके मर्मज्ञ सुप्रसिद्ध विद्वानोंका समुदाय एकत्र था। अनेक वेदज्ञ ब्राह्मण थे। बहुत-से दार्शनिक मुनिगण थे।
राजा जनकने पञ्चशिख मुनिसे वृद्धावस्था और मृत्युसे बचनेका उपाय पूछा। तब पञ्चशिखने कहा- ‘कोई भी मनुष्य जरा और मृत्युसे नहीं