भक्ति मार्ग (Bhakti Marg)

सुदामा का भाग्य

सुदामा के भाग्य में ‘श्रीक्षय’ लिखा हुआ था,श्रीकृष्ण ने वहां उन अक्षरों को उलटकर ‘यक्षश्री’ श्रीकृष्ण और सुदामा की मैत्री

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नृत्यांगना रूपधारी श्याम सुंदर

                                              एक दिन श्रीराधा अत्यधिक रूष्ट हो गईं।श्रीकृष्ण बहुत प्रकार के उपायों द्वारा भी उन्हें प्रसन्न करने में असमर्थ

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जीव ईश्वर मिलन

जय हो चिन्मयानंद भगवान चिन्मय हैं अत: उनकी लीलाएं भी चिन्मयी होती हैं। भगवान की तरह गोपियों का स्वरूप भी

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प्रेम  तत्व-रहस्य

परमात्मा या मुक्ति की प्राप्ति के लिये जितने साधन बतलाये गये हैं, उनको आदर देना ही साध्य को आदर देना

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नित्य कर्म

संध्योपासन-संध्योपासन अर्थात संध्या वंदन। मुख्य संधि पांच वक्त की होती है जिसमें से प्रात: और संध्या की संधि का महत्व

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