
भक्ति दिखावे का विषय नहीं
एक व्यक्ति था जो नियमित मंदिर जाता था परंतु एकांत मे तो चुपचाप रहता कोई भजन कीर्तन ना करता और
एक व्यक्ति था जो नियमित मंदिर जाता था परंतु एकांत मे तो चुपचाप रहता कोई भजन कीर्तन ना करता और
जब नन्हा कान्हा बोल उठा.. मां मैं ही श्री राम था। बालक कृष्ण की लीलाए बड़ी मनमोहनी है, बड़े-बड़े ऋषि
महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती जी ने पूछा आप किसको प्रणाम
परिस्थिति कैसी भी हो पर जीवन में प्रभु के ऊपर अपने विश्वास को सदैव बनाए रखें ।। जीवन की समस्याएं
हे परमात्मा राम मेरे सब कुछ तुम ही हो तुम से ही ये जीवन ज्योति है तुम से ही आनंद
जो निरन्तर जिस बात का चिन्तन करेगा, उसको उसकी स्मृति अन्तकाल में होगी ही, यह नियम है। जो भगवान् का
अगर आप भजन के मार्ग पर है तो प्रतिकूलता भी आएगी भगवान को ही दोष भी दोगे लेकिन प्रतिकूलता आपको
जय श्री सीताराम जी पवन तनय के चरित सुहाए। जामवंत रघुपतिहि सुनाए।। हनुमान जी बोले अब बताओ, राम जी का
सुदामा के भाग्य में ‘श्रीक्षय’ लिखा हुआ था,श्रीकृष्ण ने वहां उन अक्षरों को उलटकर ‘यक्षश्री’ श्रीकृष्ण और सुदामा की मैत्री
एक दिन श्रीराधा अत्यधिक रूष्ट हो गईं।श्रीकृष्ण बहुत प्रकार के उपायों द्वारा भी उन्हें प्रसन्न करने में असमर्थ