
भक्ति मार्ग पर चल कर देखे
अगर आप भजन के मार्ग पर है तो प्रतिकूलता भी आएगी भगवान को ही दोष भी दोगे लेकिन प्रतिकूलता आपको
अगर आप भजन के मार्ग पर है तो प्रतिकूलता भी आएगी भगवान को ही दोष भी दोगे लेकिन प्रतिकूलता आपको
जय श्री सीताराम जी पवन तनय के चरित सुहाए। जामवंत रघुपतिहि सुनाए।। हनुमान जी बोले अब बताओ, राम जी का
सुदामा के भाग्य में ‘श्रीक्षय’ लिखा हुआ था,श्रीकृष्ण ने वहां उन अक्षरों को उलटकर ‘यक्षश्री’ श्रीकृष्ण और सुदामा की मैत्री
एक दिन श्रीराधा अत्यधिक रूष्ट हो गईं।श्रीकृष्ण बहुत प्रकार के उपायों द्वारा भी उन्हें प्रसन्न करने में असमर्थ
श्री अयोध्या जी में एक उच्च कोटि के संत रहते थे, इन्हें रामायण का श्रवण करने का व्यसन था। जहां
जय हो चिन्मयानंद भगवान चिन्मय हैं अत: उनकी लीलाएं भी चिन्मयी होती हैं। भगवान की तरह गोपियों का स्वरूप भी
परमात्मा या मुक्ति की प्राप्ति के लिये जितने साधन बतलाये गये हैं, उनको आदर देना ही साध्य को आदर देना
संध्योपासन-संध्योपासन अर्थात संध्या वंदन। मुख्य संधि पांच वक्त की होती है जिसमें से प्रात: और संध्या की संधि का महत्व
भगवद्प्रेम में मधुर भाव की सेवा का अधिकार पाने के लिये दो तरह की साधना करनी पड़ती है। एक को
राम कंहा है राम कंही बाहर नहीं है राम आपकी पुकार मे है राम को कंहा ढूंढ रे बन्दे, प्राणो