
रघुनाथ कृपा कीजै ऐसी
रघुनाथ कृपा कीजै ऐसी मोहे राम चरन रज ध्येय मिलै।पथ देहु मोहे निज पद रज का, हरिनाम मोहे पाथेय मिलै।।गुरु

रघुनाथ कृपा कीजै ऐसी मोहे राम चरन रज ध्येय मिलै।पथ देहु मोहे निज पद रज का, हरिनाम मोहे पाथेय मिलै।।गुरु

भगवान भक्त के संदर्भ में क्या कह रहे है सभी गौर करें और भक्त बनें भक्त मेरे मुकुटमणि, मैं हूं

मैं सब का होकर देख लिया एक तेरा होना बाकि है,मैं सब कुछ खो कर देख लिया बस खुद को

हे तेजोमय परमेश्वर ! हमें इस संसार की यात्रा में सफलता के लिए सुपथ पर चलाइये | हमारी दुर्बलताओं को

पकड़ लो हाथ बनवारी,नहीं तो डूब जाएंगे,हमारा कुछ ना बिगड़ेगा,तुम्हारी लाज जाएगी,पकड़ लों हाथ बनवारी,नहीं तो डूब जाएंगे ॥धरी है

एक दिन राधा जी भगवान कृष्ण से रूठ गई। अनेक दिन बीत गए पर राधा जी कृष्ण से मिलने नहीं

एक दिन राधा जी भगवान कृष्ण से रूठ गई। अनेक दिन बीत गए पर राधा जी कृष्ण से मिलने नहीं

रास रच्यो वृंदावन में, गूंजे मुरली तान,राधा संग श्याम झूमे, मगन भए सब प्राण। चाँदनी में रास रच्यो, मन हर

श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल ए।कलितललितवनमाल जय जय देव हरे॥दिनमणिमण्डलमण्डन भवखण्डन ए। मुनिजनमानसहंस जय जय देव हरे ॥कालियविषधरगंजन जनरंजन ए।यदुकुलनलिनदिनेश जय जय देव
नाम मेरी राधा रानी का जिस जिस ने गाया है,बांके बिहारी ने उसे अपना बनाया है,जय राधे, जय राधे, जय