
बिहारी मैं तो कब से खड़ी ॥
तेरी अंखिया हैं जादू भरी,बिहारी मैं तो कब से खड़ी ॥ सुनलो मेरे श्याम सलोना,तुमने ही मुझ पर,कर दिया टोना,मेरी
तेरी अंखिया हैं जादू भरी,बिहारी मैं तो कब से खड़ी ॥ सुनलो मेरे श्याम सलोना,तुमने ही मुझ पर,कर दिया टोना,मेरी
बसौ मेरे नैनन में नंदलाल।मोहनी मूरत सांवरी सूरत, नैना बने बिसाल।मोर मुकुट मकराकृति कुंडल, अरुण तिलक शोभे भाल।*अधर सुधारस मुरली
सखियों मिल मंगल गावे यशोदा जायो लाल निआओ नि सखियाँ मिल खुशिया मनावे नन्द के घर आया लाल नि, सुंदर
कान्हा रे सुन विनती मेरी एक झलक दिखला देमेरे तपते अंतर में तेरी प्रीत की नीर बहा दे..एक झलक दिखला
तेरी अंखिया हैं जादू भरी, बिहारी मैं तो कब से खड़ी ।सुनलो मेरे श्याम सलोना, तुमने ही मुझ पर कर
नित्त ध्यान धरूं चित्त से हित से,उर गोविन्द के गुण गाया करूँ।वृंदावन धाम में श्याम सखा,मन ही मन में हरषाया
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,सब दुख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया । मीरा पुकारी रे गिरिधर गोपाला,ढल गया
बांसुरी सुनूंगी मीरा बाई का भक्ति रस से परिपूर्ण पद भावार्थ और व्याख्या:यह पद भक्त शिरोमणि मीरा बाई की अटूट
1 चलो चले मन वृंदावन की परिक्रमा करी आवे।द्वादश वन हैं इनके अंदर कृपा सबहि की पावे।।2 शुरू करें गुरु
श्रीकृष्ण के लीला काल का समय था, गोकुल में एक मोर रहता था, वह मोर श्रीकृष्ण का भक्त था, वह