भोरी सखी का नाम प्रेम
नाम-स्वाँस दोउ विलग चलत हैं, इनकौ भेद न मोकौं भावै॥स्वाँसहि नाम नाम ही स्वाँसा, नाम स्वाँस कौ भेद मिटावै।बाहिर कछु
नाम-स्वाँस दोउ विलग चलत हैं, इनकौ भेद न मोकौं भावै॥स्वाँसहि नाम नाम ही स्वाँसा, नाम स्वाँस कौ भेद मिटावै।बाहिर कछु
आहा ! प्रेम का स्वरूप अनिर्वचनीय है ये सूत्र अद्भुत है । प्रेम के विषय में जो भी बोलेगा कहेगा
भक्त भगवान को भजते हुए, भक्त भगवान राम में समा जाना चाहता है।भक्त राम राम राम भजता रहता है। भक्त
लाहौर के एक ब्राह्मण दम्पप्ति दयाल राम और उनकी धर्म पत्नी निर्धन थे कोई संतान भी नही थी। एक बार
इनका जन्म राजस्थान के टोंक जिले में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं पर हुई। इन्हें बचपन से ही कृष्ण
हम भगवान का सिमरण निस्वार्थ भाव से करें भगवान मेरे है देखो भगवान मुझे देख रहे हैं जब तक हम
तुलसीदास एक महान हिंदू संत और कवि थे। वह महान हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस के लेखक भी थे। तुलसीदास जयंती पारंपरिक
पृथ्वी पर तीन ही “रत्न” हैं। “जल”, “अन्न” और “सुभाषित” (मीठी बोली)। मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों, हीरे, मोती, माणिक्य
अध्यात्मवाद के आनंद के लिए हमें बाहरी साज की आवश्यकता नहीं है। साज दिल में सजे हुए हैं जिस दिन
आदिगुरु शंकराचार्य का जन्म केरल के कालड़ी गांव में ब्राह्मण दंपत्ति शिवगुरु नामपुद्रि और विशिष्टा देवी के घर में भोलेनाथ