
प्राण जीवन शक्ति
प्राण का शाब्दिक अर्थ है “जीवन शक्ति। ” यह वह ऊर्जा है जिसकी हमें सांस लेने, बात करने, चलने, सोचने,

प्राण का शाब्दिक अर्थ है “जीवन शक्ति। ” यह वह ऊर्जा है जिसकी हमें सांस लेने, बात करने, चलने, सोचने,

बहुत अच्छे से समझाया गया है ,कृपया अवश्य पढ़िए :— 1. परिपक्वता वह है – जब आप दूसरों को बदलने

बड़े भाग मानुष तनु पावा।सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा॥साधन धाम मोच्छ कर द्वारा।पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥ सो परत्र दुख

गीत का गान हो तुम, खिले हुए फुल हो तुम। प्रत्येक मनुष्य एक गीत लेकर पैदा होता है और बहुत

परमात्मा से मिलन मनुष्य-जन्म में ही संभव है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह हक़ दिया है यह मनुष्य-शरीर

समुद्र मंथन हम ग्रथों में पढते है समुद्र मंथन हमारे अन्दर ही है। सत्व रज और तम तीनो गुणों का

मिलन की तङफ के बैगर आंसू छलकते नहीं। हर क्षण प्रभु मे खोना ही भक्त का जीवन है। जितने भगवान

जो चंद्रमा की तरह विमल, शुद्ध, स्वच्छ और निर्मल है तथा जिसकी सभी जन्मों की तृष्णा नष्ट हो गई, वही
हृदय से ढूंढने पर ही परमात्मा मिलेंगे। संत महात्मा हमें मार्ग दिखा देंगे, पर लगन का दीपक हमें अपने आप

ईश्वर ने अपनी माया से चौरासी लाख योनियों की रचना की लेकिन जब उन्हें संतोष न हुआ तो उन्होंने मनुष्य