अध्यात्मिक कथा
इस कथा में गृहस्थ जीवन में अध्यात्मवाद को दर्शाता है। घर में कठोर मेहनत प्रेम का प्रतीक है। जिस घर
इस कथा में गृहस्थ जीवन में अध्यात्मवाद को दर्शाता है। घर में कठोर मेहनत प्रेम का प्रतीक है। जिस घर
विज्ञान की जड़े हिला दी थी, इस संत ने.. “प्रह्लाद जानी” वो इंसान जिसने 76 सालो से जीवन मे कुछ
चरणों में काँटे लिए, लेकिन एक दिन क्या हुआ कि भगवान कह रहे थे — आ हा हा, कैकेई माता
प्रभु प्रेम हे परम पिता परमात्मा जी मै तुमको प्रणाम करता हूँ हे मेरे भगवान् नाथ हे दीनदयाल हे मेरे
साधना में लगन मोक्ष की प्राप्ति का साधन है। हम क्या करते हैं थोड़ी सी पुजा पाठ करते ही अपने
तूँ तूँ करता तूँ भया,मुझ मैं रही न हूँ। वारी फेरी बलि गईजित देखौं तित तूँजीवात्मा कह रही है कि
प्रेम की आकांक्षा ही तो तुम्हारी आत्मा है| तुम कितने ही जंगलो में चले जाओ, कितनी ही दूर, और कितनी
सर्वे भवंतु सुखिनः जो गुरू उपदेश के अनुरूप हो ग्रहण करें। भगवान बुद्ध का संदेश है कि उस दिव्य सुख
हृदय से ढुढने पर ही परमात्मा मिलेगे। सन्त महात्मा हमे मार्ग दिखा देंगे पर लग्न का दिपक हमे अपने आप
राधा माधव ही पटवारी है। मन मन्दिर में राधाकृष्ण बैठे हैं। राधा कृष्ण की ज्योति आत्मा में विराजमान है। भगवान