अध्यात्मवाद (Adhyatmvad)

भगवान देख रहा

हे परमात्मा जी मै कहती। भगवान् देख रहा है। मै जब भीघर में कार्य करती मेरा अन्तर्मन पुकारता भगवान् देखरहा

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एक घंटा मौन रहे

दिन के चौबीस घंटों में तुम्हें एक घंटा मौन रहना जरूरी है, जब भी तुम्हारी सुविधा हो। तुम्हारा आंतरिक संवाद

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जय प्रयागराज

महाकुंभ साधू संतो तपस्वी त्यागीयो का महा स्नान 13 जनवरी को चार  पांच लाख साधु महाकुंभ में स्नान करेगें हम

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अन्तर यात्रा क्या है

हमारे जीवन का लक्ष्य जीवनकाल में अन्तर यात्रा को करना है। अन्तर यात्रा का अर्थ है अपने भीतर की यात्रा

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ब्रह्म का स्वरूप

ब्रह्म का स्वरूप ब्रह्म परम सत्ता है जो ज्ञान-आनन्द स्वरूप है। जब अज्ञान का पर्दा अविनाशी ज्ञान के उदय से

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आनन्द रस से ऊपर उठे

हम जीवन में रस चाहते हैं रस हमारा स्वास्थ्य बनाता है रसहमारे जीवन का आधार स्तम्भ है। रस के बैगर

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संसार रूपी वृक्ष का वर्णन

श्रीभगवानुवाचऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्‌।छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्‌।। अर्थ-श्री भगवान ने कहा- हे अर्जुन! इस संसार को अविनाशी वृक्ष

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