
सम्भालो दास को दाता
सम्भालो दास को दाता ,मेरी सुध क्यूं भुलाई है ।ना जाने आज क्यों फिर से,तुम्हारी याद आई है ।। नजर
सम्भालो दास को दाता ,मेरी सुध क्यूं भुलाई है ।ना जाने आज क्यों फिर से,तुम्हारी याद आई है ।। नजर
मैं दासी अपनी राधा कीकरत खवासी जो रुचि पावत ।सूधे वचन न बोलत सपनेहुहरिहू को अँगुठा दिखरावत ॥ब्रह्मानंद मगन सुख
हमेशा राघव जी से शिकायत करते कि हमने तो बड़ा यश सुनकर आपको अपनी बहन दी थी पर आपने हमारी
एक बार कलकत्ता से बूढ़े ब्राह्मण श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए वृंदावन आये तो प्रभु से मिलने के
वृंदावन में बाँकेबिहारी जी मंदिर में बिहारी जी की काले रंग की प्रतिमा है। इस प्रतिमा के विषय में मान्यता
॥दोहा॥ निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करै सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥ ॥चौपाई॥ जय हनुमन्त सन्त
एक अत्यंत रोचक घटना है, माँ महालक्ष्मी की खोज में भगवान विष्णु जब भूलोक पर आए, तब यह सुंदर घटना
आज के समय में जब छोटे-से-छोटे मंदिरों में भगवान को चांदी के पात्रों में नैवेद्य अर्पित किया जाता है, तो
मृत्यु सत्य है, इस सत्य को न मानना ही ‘असत्य’ है। अर्थी उठते समय बोला जाता है कि- ‘राम नाम
यह प्रसंग अथर्ववेद के श्रीकृष्णोपनिषत् से उल्लखित है । श्रीकृष्ण के परिकर के रूप में किस देवता ने क्या भूमिका