आते हो तुम बार-बार प्रभु ! मेरे मन-मन्दिरके द्वार।
आते हो तुम बार-बार प्रभु ! मेरे मन-मन्दिरके द्वार।कहते—‘खोलो द्वार, मुझे तुम ले लो अंदर करके प्यार’॥मैं चुप रह जाता,
आते हो तुम बार-बार प्रभु ! मेरे मन-मन्दिरके द्वार।कहते—‘खोलो द्वार, मुझे तुम ले लो अंदर करके प्यार’॥मैं चुप रह जाता,
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है गृहस्थ जीवन में भी भक्त मेरी भक्ति कर सकता है। गृहस्थ में रहते हुए माता,
प्रेम की अगन हो,भक्ति सघन हो,मन में लगन हो तो,प्रभु मिल जाएंगे ॥हृदय में भाव हो,अनुनय की छांव हो॥आराधन का
बैठे नजदीक तू सँवारे के तार से तार जुगने लगेगा,देख नजरो से नजरे मिला के तुमसे बाते ये करने लगेगा,बैठे
उड़ीसा में बैंगन बेचनेवाले की एक बालिका थी | दुनिया की दृष्टि से उसमें कोई अच्छाई नहीं थी | न
रामायण में वर्णित चूडामणि की कहानी बता रहे है। इस कहानी में आप जानेंगे की- १–कहाँ से आई चूडा मणि
जो शान्त भाव से उपासना करते हैं, उनके लिये केवल श्रीकृष्ण का ऐश्वर्यमय रूप प्रकाशित होकर रह जाता है। उन्हें
हे कृष्ण…. तेरे बिना जिंदगी मेरीअधूरी तो नहींहां यह ज़िन्दगी मेरीऐसे पूरी भी नहींकहने को ज़िन्दगी मेंकोई गम तो नहींबिन
मैंने नहीं, तुमने मुझे चुना था।तब से ही , जागती आंखों सेतुम्हारे सान्निध्य काख़ाब मैंने बुना था। मुझे यकीं था,
पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगा नहीं थी और इंसान पानी के लिए