
तुम सों को प्रियतम या जग में
तुम सों को प्रियतम या जग में।तुम प्रान बने उर में मोरे तुम रुधिर दास के रग रग में।।तुम्हरी करुणा

तुम सों को प्रियतम या जग में।तुम प्रान बने उर में मोरे तुम रुधिर दास के रग रग में।।तुम्हरी करुणा

रघुनाथ कृपा कीजै ऐसी मोहे राम चरन रज ध्येय मिलै।पथ देहु मोहे निज पद रज का, हरिनाम मोहे पाथेय मिलै।।गुरु

भगवान भक्त के संदर्भ में क्या कह रहे है सभी गौर करें और भक्त बनें भक्त मेरे मुकुटमणि, मैं हूं

मैं सब का होकर देख लिया एक तेरा होना बाकि है,मैं सब कुछ खो कर देख लिया बस खुद को

नियंत्रण में रखो, जग पालक भगवान।विनती कर जोड़ करे, आप बढ़े बलवान।। दया कृपा करुणा करो, मेरे दीन दयाल।पीड़ा करना

हे तेजोमय परमेश्वर ! हमें इस संसार की यात्रा में सफलता के लिए सुपथ पर चलाइये | हमारी दुर्बलताओं को

पकड़ लो हाथ बनवारी,नहीं तो डूब जाएंगे,हमारा कुछ ना बिगड़ेगा,तुम्हारी लाज जाएगी,पकड़ लों हाथ बनवारी,नहीं तो डूब जाएंगे ॥धरी है
राधे करुणामई कल्याणी वृंदावन की महारानी चरणों में तेरे रहे ध्यान जी ओ राधे हर पल पुकारें तेरा नाम राधे

श्रीनारायण दशावतार स्तोत्र दुःख- दरिद्र, रोग- व्याधि, कर्ज मुक्ति गृह क्लेश, पितृ बाधा, वास्तु दोष सब होगा दूर रोज पढ़ें-

पुरुषोत्तम कवचम्, जो शाण्डिल्य संहिता के भक्ति खण्ड में वर्णित है। यह कवच भगवान श्रीकृष्ण (पुरुषोत्तम नारायण) की सर्वांग रक्षा,