गुरू ओर सतगुरु में रात दिन का अन्तर है।
हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद गुरू ओर सतगुरु में रात दिन का अन्तर है।गुरूवो होता है जो हमारे जीवन
हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद गुरू ओर सतगुरु में रात दिन का अन्तर है।गुरूवो होता है जो हमारे जीवन
मनमोहन तुझे रिझाऊं, तुझे नित नए लाड लडाऊं,बसा के तुझे नयन में, छिपा के तुझे नयन में। गीत बन जाऊं
दीपक पर मंडराते पतंगो ने मुसकरा कर कहा, त्याग ही जीवन है।कोमल पंखो को फडफडाते पिजंरे मे बन्द पक्षी ने
“जाही बिधि राखे राम ताही बिधि रहिये” सीताराम सीताराम सीताराम कहिये ।जाही बिधि राखे राम ताही बिधि रहिये ।। मुखमें
जय जय सियाराम जी आरूढ़ दिव्य रथ पर रावण,नंगे पद प्रभुवर धरती पर!तन वसनहीन शिर त्राणहीन,यह युद्ध अनोखा जगती पर!!
सारे मोहल्ले में ये हल्ला हो गया, मैया यशोदा के लल्ला हो गया। श्यामल रूप नैन कजरारे, बाल हैं इनके
ऐसी लगन लगा दो भगवन ऐसी लगन लगा दो भगवन नाम तुम्हारा गाऊँ मैं। श्री चरणों में ध्यान लगाकर भवसागर
करता करे न कर सके, सतगुरु करे सो होय, तीनों लोक, नौ खंड में सतगुरु से बड़ा न कोय। सतगुरु
नौ रूपों में स्त्री जीवन का पूर्ण बिम्बएक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब हैनवदुर्गा के नौ स्वरूप 1 जन्म
हे परमेश्वरी मेरे द्वारा रात-दिन बहुत से अपराध होते रहते है। मुझे अपना दास समझकर मेरे उन अपराधों को आप