यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
अब हम भगवान के हो गए, भगवान हमारे हैं। यदि नाथ का नाम दयानिधि है,तो दया भी करेंगे कभी न
अब हम भगवान के हो गए, भगवान हमारे हैं। यदि नाथ का नाम दयानिधि है,तो दया भी करेंगे कभी न

“जाही बिधि राखे राम ताही बिधि रहिये” सीताराम सीताराम सीताराम कहिये ।जाही बिधि राखे राम ताही बिधि रहिये ।। मुखमें
जय जय सियाराम जी आरूढ़ दिव्य रथ पर रावण,नंगे पद प्रभुवर धरती पर!तन वसनहीन शिर त्राणहीन,यह युद्ध अनोखा जगती पर!!

आजु सुफल तपु तीरथ त्यागू।आजु सुफल जप जोग बिरागू।। सफल सकल सुभ साधन साजू।राम तुम्हहि अवलोकत आजू।। लाभ अवधि सुख

राम रसायन तुम्हारे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा।। यह रामरसायन क्या है,आईये जानते हैं।तुलसीदासजी लिखते हैं कि यदि हमें जीवन

जय जय सियाराम जी आरूढ़ दिव्य रथ पर रावण,नंगे पद प्रभुवर धरती पर!तन वसनहीन शिर त्राणहीन,यह युद्ध अनोखा जगती पर!!उस

।। श्रीरामचरितमानस- उत्तरकाण्ड ।। चौपाई-सोइ सर्बगय गुनी सोइ ग्याता।सोइ महि मंडित पंडित दाता।। धर्म परायन सोइ कुल त्राता।राम चरन जा

रघुनाथ चरन जब सरन गहे अमरावती वासी का कहिये भवानी से भाव जगै उर में तब और के भाव को

प्रभु दयासिंधु करुणानिधान।रघुनायक जग के बन्धु मित्र धृतशायक शर कलिमल निदान।।प्रभु पद प्रणीत ब्रह्माण्ड सृष्टि एकल प्रचेत वेदांग ज्ञान।तारक नक्षत्र

मामवलोकय पंकज लोचन।कृपा बलिोकनि सोच बिमोचन॥ नील तामरस स्याम काम अरि।हृदय कंज मकरंद मधुप हरि॥ कृपापूर्वक देख लेने मात्र से