राम भजन (Ram Bhajan)

जाके प्रिय न राम-बदैही

जाके प्रिय न राम-बदैही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥ तज्यो पिता प्रहलाद, बिभीषन बंधु, भरत महतारी। बलि

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