
अनहोनी
गरीबी से जूझती सरला दिन-ब-दिन परेशान रहने लगी थी।भगवान के प्रति उसे असीम श्रद्धा थी और नित नेम करके ही

गरीबी से जूझती सरला दिन-ब-दिन परेशान रहने लगी थी।भगवान के प्रति उसे असीम श्रद्धा थी और नित नेम करके ही

एक सेठ बड़ा धार्मिक था संपन्न भी था। एक बार उसने अपने घर पर पूजा पाठ रखी और पूरे शहर

प्रभु की भक्ति चाहे कितने कष्ट, कठिनाइयां, निन्दा तथा हानि सहन करने पर प्राप्त हो तो सस्ता सौदा समझो क्योंकि

एक शहर में एक अमीर सेठ रहता था। उसके पास बहुत पैसा था। वह बहुत फैक्ट्रियों का मालिक था। एक

भक्त कहता है कि वास्तव में ये काया रूपी झोपड़ी भगवान की है इस झोपड़ी में आत्मा रूपी दिया भगवान

.राज पूताना के किसी गांव में कुम्हार जाति के एक कूबा जी नाम के भगवद्भक्त रहते थे।.ये अपनी पत्नी पुरी

उपासक भगवान को दिल मे ऐसे बिठा लेता है जैसे हमारे मन में घर परिवार के सदस्य बैठे होते है।

त्याग मार्ग पर चलने के लिए अपने अन्दर हर समय झांकना होता है।अन्तर्मन में झांकने का अर्थ है अपने विचार

करमानंद अपने गायन से प्रभु की सेवा किया करते थे। इनका गायन इतना भावपूर्ण होता था कि पत्थर-हृदय भी पिघल

अगर हमें सदा ही परम आनन्दित रहना है; तो फिर मोहसे सावधान रहना है! क्योंकि यह मोह ही सकल व्याधियोंकी