राम लक्ष्मण का दिव्य स्वरूप
राम और लक्ष्मण का दर्शन करते ही राजा जनक का मन प्रेम में मग्न हो गया। उन्होंने विवेक का आश्रय
राम और लक्ष्मण का दर्शन करते ही राजा जनक का मन प्रेम में मग्न हो गया। उन्होंने विवेक का आश्रय
मृत्यु सत्य है, इस सत्य को न मानना ही असत्य है। अर्थी उठते समय बोला जाता है कि राम नाम
जय श्री रामभक्त हनुमान हनुमानजी हर घर में भगवान रामजी का यश चाहते हैं, जब लंका में हनुमानजी जानकीजी के
जय जय जय बजरंगबली भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी के बारे में हम सब ने कई कथाएं
भक्ति में बहुत शक्ति होती है। भक्ति का तात्पर्य है- स्वयं के अंतस को ईश्वर के साथ जोड़ देना। ईश्वर

भक्ति, अपने इष्ट के प्रति ऐसा समर्पण भाव है, जो हमारे मन में यह विश्वास जगाता है कि उसकी शरण

रामनवमी के नौ राम, परमात्मा से राजा, पुत्र से पिता और पति तक भगवान राम के नौ रुप जो सिखाते

लक्ष्मण भगवान राम के साथ हर क्षण रहते हैं। जंहा राम वंहा लक्ष्मण। भगवान राम के बैगर लक्ष्मण के जीवन

इस युग में नाम-जप ही प्रधान साधन है-मन न लगे तो नाम-भगवान् से प्रार्थना करनी चाहिये-‘हे नाम-भगवन्! तुम दया करो,

भक्ति करते हुए ज्ञान वैराग्य प्रवेश कर जाता है सामान्य लोगों को समझाने के लिए एैसा कहा गया है!के भक्ति