
जीवन उत्सव
प्रभु चरणों का दृढ़ाश्रय हमें किसी भी स्थिति में प्रसन्न रहना सिखाता है। आश्रय जिस अनुपात में होगा हमारी प्रसन्नता

प्रभु चरणों का दृढ़ाश्रय हमें किसी भी स्थिति में प्रसन्न रहना सिखाता है। आश्रय जिस अनुपात में होगा हमारी प्रसन्नता

– हम बचपन से यह देखते आए है जब भी #आरती, #कीर्तन, #सत्संग, #पूजा या #अनुष्ठान कुछ भी हो #ताली

मैं किसी आफिस काम के लिए फ्लाइट से बैंगलोर से मुम्बई जा रहा था। यह विमान का इकोनॉमी क्लास था।

किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है

पिता अपने बेटे के साथ पांचसितारा होटल में प्रोग्राम अटेंड करके कार से वापस जा रहे थे। रास्ते में

बचपन में यह खेल हम सभी ने खेला होगा।और यदि नहीं तो आज ठाकुर जी के साथ सीख लों। बाल

पहले हम यह समझते थे कि हम जल्दी से घर जाए घर की एक एक चीज को चमका कर

( प्रभु के योग्य स्वयं बनें )एक राजा सायंकाल में महल की छत पर टहल रहा था ! अचानक उसकी

एक समय की बात है… गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था। पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग

मेरी यह पोस्ट उन तमाम महिलाओ के लिए है जिन्हें लगता है कि मां बाप के जाने के बाद अब