
ईश्वर को धन्यवाद
मेरे पिताजी की आदत भी अज़ीब थी।खाना खाने बैठते तो एक निवाला तोड़ कर थाली के चारों ओर घूमाते और
मेरे पिताजी की आदत भी अज़ीब थी।खाना खाने बैठते तो एक निवाला तोड़ कर थाली के चारों ओर घूमाते और
अकबर ने एक ब्राह्मण को दयनीय हालत में जब भिक्षाटन करते देखा तो बीरबल की ओर व्यंग्य कसकर बोले –
1~पहला रत्न है : ” माफी “तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे , तुम उसकी बात को कभी अपने मन
कुछ माता-पिता बड़े समझदार होते हैं..? वे अपने बच्चों को किसी की भी सगाई,शादी, लगन, शवयात्रा, उठावना,तेरहवीं (पगड़ी) जैसे कामो
इससे आप सुखी रहेंगे। कहाँ कितना बोलें, इसका निर्णय बुद्धिमत्ता से करें । सुखी जीवन का एक ही मन्त्र चुप
|**विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की
भगवान कहते हैं जो तुम्हे मिला है वो न जाने किस किस की कृपा से मिला है सो जो भी
सही अर्थों में सफलता इस बात से नहीं मापी जाती कि हमने जिंदगी में कितनी ऊँचाई हासिल की है, अपितु
अर्जन और विसर्जन ये मनुष्य जीवन के दो अहम पहलू हैं। अगर जीवन को ठीक तरह से समझा जाये तो
आज का व्यक्ती समय की महत्ता को भुल गया है। समय को पकड़ कर रखना नहीं चाहता है। समय कभी