
कथा द्वापरयुग की है ,जब भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र ने काशी को जलाकर राख कर दिया था
बाद में यह वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध हुआ ! यह कथा इस प्रकार है :- मगध का राजा जरासंध
बाद में यह वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध हुआ ! यह कथा इस प्रकार है :- मगध का राजा जरासंध
प्राचीन कथा के अनुसार एक बार धरती पर विश्व कल्याण हेतु यज्ञ का आयोजन किया गया। तब समस्या उठी कि
सतयुग की बात है. एक समय में भद्राश्व नामक महान राजा हुआ करते थे. भद्राश्व इतने शक्तिशाली राजा थे कि
एक गृहस्थ भक्त अपनी जीविका का आधा भाग घर में दो दिन के खर्च के लिए पत्नी को देकर अपने
कथा पढ़ने या सुनने से ही माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है, कभी धन की कमी नहीं रहती..एक गांव में साहूकार
कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे अहोई आठे के नाम से
एक सुंदर प्रसंग हरीराम बनारस में गुलाब की पत्तियों को पीसकर गुलकंद बनाने का काम करता था ।बनारस में उसकी
यह लेख ज्योतिष प्रयोग में शनि एवं शनि देवता के बारे में है। अन्य प्रयोग हेतु के लिए, शनि देखें।शनि
.अयोध्या के बहुत निकट ही पौराणिक नदी कुटिला है – जिसे आज टेढ़ी कहते हैं, उसके तट के निकट ही
भगत कबीर जी की बेटी की शादी का समय नजदीक आ रहा था।सभी नगर वासीयों में काना फूसी चल रही