श्रीगौरदासी भाग – 2
गतांक से आगे – माता के बिना बालिका गौरा का पालन पोषण उसके पिता क्षितिश चन्द्र चक्रवर्ती कर रहे थे
गतांक से आगे – माता के बिना बालिका गौरा का पालन पोषण उसके पिता क्षितिश चन्द्र चक्रवर्ती कर रहे थे
गोपेश्वर महादेव के निकट ही ये बाई रहती थी…बंगाली शरीर …”भजनाश्रम” में कीर्तन करके अपना जीवन यापन किया …आज सुबह
नमो जय जय श्री कमलवासिनीआद्यामहालक्ष्मी करूँ माता तव ध्यान |सिद्ध काज मम किजियेनिज शिशु सेवक जान ||चौपाई ———श्री मह लक्ष्मी
णमो अरिहंताणं- मैं अरिहंतों को नमन करता हूँ। णमो सिद्धाणं- मैं सिद्धों को नमन करता हूँ। णमो आयरियाणं- मैं आचार्यो
।। ।।(महारुद्र) यहां हनुमानजी के पंचमुख का रहस्य, सरल पूजा विधान ओर पंचवक्त्र स्तोत्र हिंदी भावार्थ के साथ प्रस्तुत कर
प्रणम्य श्रीगणेशं च श्रीरामं मारुतिं तथा।रक्षामिमां पठेत्प्राज्ञः श्रद्धाभक्ति समन्वितः।।१।। शिरो मे हनुमान् पातु भालं पवननन्दनः।आञ्जनेयो दृशौ पातु रामचन्द्रप्रियश्रुती।।२।। घ्राणं पातु
भगवान राम जानते थे कि उनकी मृत्यु का समय हो गया है। वह जानते थे कि जो जन्म लेता है
हिमालय कृत शिव स्तोत्र हिमालय द्वारा रचित भगवान शिव की महिमा में एक दिव्य राग है। हिमालय पर्वतों का मानवीकरण
शिव का एक भीषण शूल जिसे अर्जुन ने तपस्या करके प्राप्त किया था। महाभारत का युद्ध हुआ, उसमें भगवान् शंकर
उपहरणं विभवानां संहरणं सकलदुरितजालस्य।उद्धरणं संसाराच्चरणं वः श्रेयसेऽस्तु विश्वपतेः।। भिक्षुकोऽपि सकलेप्सितदाता प्रेतभूमिनिलयोऽपि पवित्र:।भूतमित्रमपि योऽभयसत्री तं विचित्रचरितं शिवमीडे।। अर्थ-समस्त ऐश्वर्यो को प्रदान