
भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं
आज का भगवद चिंतन।भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं कि इस भौतिक संसार के प्रत्येक पदार्थ में मैं
आज का भगवद चिंतन।भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं कि इस भौतिक संसार के प्रत्येक पदार्थ में मैं
🕉 नम: शिवायश्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमःॐ श्री काशी विश्वनाथ विजयते सर्वविपदविमोक्षणम् मही पादाघाताद् व्रजति सहसा संशयपदंपदं विष्णोर्भ्राम्यद् भुज-परिघ-रुग्ण-ग्रह-गणम्। मुहुर्द्यौर्दौस्थ्यं यात्यनिभृत-जटा-ताडित-तटाजगद्रक्षायै
जाकी रही भावना जैसी।प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।। श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की यह चौपाई है। जिसके पास जैसा भाव है,
कहा जाता है कि की जब लंका विजय के लिए नल-नील समुद्र पर सेतु बनाने में लगे थे, तब कई
. एक समय श्रीराम को मुनियों के द्वारा यह समाचार मिलता है कि लंकापति विभीषण द्राविड देश में कैद हैं।
रामायण से एक प्रसङ्ग….लंका में युद्ध अपनी चरम सीमा पर था।श्रीराम की सेना आगे बढ़ती ही जा रही थी और
|| संशय निवारण || निज जननी के एक कुमारा –*मानस का प्रसंग -मानस प्रेमीॐ हिरण्यगर्भ:समवत्तरताग्रे,भूतस्य जातः पतिरेक आसीत् ।। सदाचार
गतांक से आगे- हित हरिवंश महाप्रभु जी के बचपन के पल प्रसंग 1:हितहरिवंश महाप्रभु जी 4-5 साल के थे तब का एक
सभी देशवासियों कोभगवान विष्णु के अवतारभगवान नृसिंह के प्राकट्योत्सवदिनांक ०४ मई २०२३ ईसबीकी असीम शुभकामनाएं…! ।। श्रीनृसिंह कवच स्तोत्र ।।
।। नमो राघवाय ।। भगवान श्रीराम जानते थे कि उनकी मृत्यु का समय हो गया है। वह जानते थे कि