राम नाम छः शास्त्रो का सार
राजा दशरथ के मुख से अन्तिम शब्द राम -राम -राम -राम -राम -राम था । छह बार राम शब्द दशरथ
राजा दशरथ के मुख से अन्तिम शब्द राम -राम -राम -राम -राम -राम था । छह बार राम शब्द दशरथ
सुंदरकांड पढ़ते हुए 25 वें दोहे पर ध्यान थोड़ा रुक गया* । तुलसीदास ने सुन्दर कांड में, जब हनुमान जी
. क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेष शैया पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मी जी उनके पैर दबा रही हैं।
*रावण रथी विरथ रघुवीरा, देखि विभीषण भयहु अधीरा**अधिक प्रीति मन भा सन्देहा, देखि विभीषण भयहु अधीरा**अधिक प्रीति मन
रामायण की चोपाई के माध्यम से कुछ जीवन के कुछ महत्वपूर्ण मंत्र दिए जा रहे है जिनके जाप से सत्-प्रतिशत
बाल काण्ड।। 1,,भरत सुभाउ सुसीतलताई,सदा एकरस,बरनि न जाई ।। 2,,भरत सत्रहुँन दूनऊं भाई ,प्रभु सेवक जसि प्रीति बडाई ।। 3,,
जिन पंक्तियों के माध्यम से संत तुलसीदास पर ” शूद्र एवं नारी अवमानना ” के आरोप लगते रहे हैं ,
विवाह की कामना लेकर नारद जी वापस बैकुंठ गए और विष्णुजी से खुद को रूपवान बनाने की विनती की। श्रीहरि
1 बालकाण्ड –बालक प्रभु को प्रिय है क्योकि उसमेँ छल , कपट , नही होता विद्या , धन एवं प्रतिष्ठा
ऋषि अगस्त्य के जन्म की कथा एक बार एक समय पर मित्र (सूर्य) और वरुण (बारिश का देवता) अप्सरा उर्वशी