“कछुवा और केवट का अद्भुत प्रसंग”
. क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेष शैया पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मी जी उनके पैर दबा रही हैं।
. क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेष शैया पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मी जी उनके पैर दबा रही हैं।
*रावण रथी विरथ रघुवीरा, देखि विभीषण भयहु अधीरा**अधिक प्रीति मन भा सन्देहा, देखि विभीषण भयहु अधीरा**अधिक प्रीति मन
रामायण की चोपाई के माध्यम से कुछ जीवन के कुछ महत्वपूर्ण मंत्र दिए जा रहे है जिनके जाप से सत्-प्रतिशत
बाल काण्ड।। 1,,भरत सुभाउ सुसीतलताई,सदा एकरस,बरनि न जाई ।। 2,,भरत सत्रहुँन दूनऊं भाई ,प्रभु सेवक जसि प्रीति बडाई ।। 3,,
जिन पंक्तियों के माध्यम से संत तुलसीदास पर ” शूद्र एवं नारी अवमानना ” के आरोप लगते रहे हैं ,
विवाह की कामना लेकर नारद जी वापस बैकुंठ गए और विष्णुजी से खुद को रूपवान बनाने की विनती की। श्रीहरि
1 बालकाण्ड –बालक प्रभु को प्रिय है क्योकि उसमेँ छल , कपट , नही होता विद्या , धन एवं प्रतिष्ठा
ऋषि अगस्त्य के जन्म की कथा एक बार एक समय पर मित्र (सूर्य) और वरुण (बारिश का देवता) अप्सरा उर्वशी
। सुंदरकांड में 1 से 26 तक जो दोहे हैं, उनमें शिवजी का अवगाहन है, शिवजी का गायन है, वो
जननी,जनक,बन्धु,सुत,दारा…..तन,धन,भवन, सुह्रद,परिवारा…..सबके ममता ताग बटोरी…मम पद मनहि बाँधि बर डोरि….. क्रमशः से आगे……..सन्त जन कहते है कि शरीर के पति