
सकारात्मक पक्ष
. एक बार एक व्यक्ति एक गाय दान करना चाहता था। वह अपने गाँव के पास के एक आश्रम में
. एक बार एक व्यक्ति एक गाय दान करना चाहता था। वह अपने गाँव के पास के एक आश्रम में
एक बार वशिष्ठ जी विश्वामित्र ऋषि जी के आश्रम में आए। इनका बड़ा स्वागत-सत्कार और आतिथ्य सत्कार किया गया। जब
आज की बात अच्छे से याद है मुझे पता है की उसने आज कुछ ऐसा कहा था जिसके बाद मुझे
महाभारत के युद्धमें द्रोणाचार्य पाण्डव सेनाका संहार कर रहे थे। वे बार- बार दिव्यास्त्रोंका प्रयोग करते थे। जो भी पाण्डव
ज्ञानपिपासु एक गुरुके दो शिष्य थे। एक पढ़नेमें तेज था और दूसरा फिसड्डी। पहला शिष्य जहाँ भी जाता, उसकी इबत
संत तुकारामजी अपने खेतसे गन्ने ला रहे थे। रास्तेमें लोगोंने गन्ने माँगे, उन्होंने दे दिये। एक गन्ना बच रहा, उसे
सफलताका रहस्य महाभारतके घमासान युद्धमें गुरु द्रोणाचार्य और अर्जुन आमने-सामने डटे हुए थे। गुरु द्रोणके शक्तिशाली बाणोंको अर्जुन बीचमें ही
स्वर्गीय श्रीयुत सी0 वाई0 चिन्तामणिने महामना मालवीयजीके सम्बन्धमें कहा था वे सिरसे पैरतक हृदय-ही-हृदय हैं।’ महामनाके शिक्षाकालकी घटना है। उन्होंने
स्वामीजी श्री भोलानन्दगिरिजी महाराज कटकमें बाबू देवेन्द्रनाथ मुखर्जीके घर ठहरे थे। कॉलेजके चार छात्र स्वामीजीके दर्शनार्थ वहाँ गये। छात्रोंने जाकर
इन श्रीकल्याणजीका पहला नाम था – अम्बादास । छोटी उम्रमें ही इनका गुरु श्रीसंत रामदासजीसे सम्बन्ध हो गया था। गुरुजीने