
संकटका साथी
संकटका साथी एक शिकारी था। एक दिन सुबहसे उसे कोई शिकार नहीं मिला। इससे वह उद्विग्न हो उठा। उसके पास
संकटका साथी एक शिकारी था। एक दिन सुबहसे उसे कोई शिकार नहीं मिला। इससे वह उद्विग्न हो उठा। उसके पास
असली पुजारी कौन ? एक विशाल मन्दिर था। उसके प्रधान पुजारीकी मृत्युके बाद मन्दिरके प्रबन्धकने नये पुजारीकी नियुक्तिके लिये घोषणा
‘देश, धर्म और स्वराज्यकी बलिवेदीपर प्रत्येक | भारतीयको चढ़ जाना चाहिये; यह पवित्र कार्य है। इसीमें आत्मसम्मानका संरक्षण है।’ महाराज
खाना ही नहीं, पचाना भी चाहिये हनुमानसिंह दक्षिणेश्वर मन्दिरमें रक्षकके कार्यपर नियुक्त थे। दरबान होनेपर भी हनुमानसिंहकी बड़ी प्रसिद्धि थी;
अछूत कौन ? एक बार प्रेम-भूमि श्रीवृन्दावनमें यमुनाजीके पवित्र तटपर कुछ साधु बैठे हुए थे। उनकी धूनी जल रही थी
लोमड़ीका बच्चा और मीठे बेर एक दिन एक लोमड़ीका बच्चा जब खानेकी खोज में निकला तो उसकी माँने उसे समझाया-‘बेटा
प्रेरणाप्रद लघु बोधकथाएँ तुम बहुत सुखी हो एक समयकी बात है, एक कौवेकी भेंट एक हंससे हुई। उस कौवेने हंसके
स्वर्गके देवदूतोंने भगवान् एक दिन प्रश्न किया “प्रभो क्या संसारमें ऐसी भी कोई वस्तु है जो चट्टानोंसे अधिक कठोर हो
आपसकी कलहसे तीसरेका लाभ होता है सिंहनगरके राजकुमारका नाम चन्दन था। उसके पेटके अन्दर एक सौंप रहता था। राजकुमार जो
मूल्यहीन सौन्दर्य एक सम्भ्रान्त प्रतीत होनेवाली अतीव सुन्दरीने विमानमें प्रवेश किया और अपनी सीटकी तलाश में नजरें घुमायें। उसने देखा