
सिद्धिका गर्व
‘समस्त जगत् उनके नृत्यसे मोहित होकर नाच रहा है, देव! यदि आप उन्हें न रोकेंगे तो महान् अनर्थ हो सकता
‘समस्त जगत् उनके नृत्यसे मोहित होकर नाच रहा है, देव! यदि आप उन्हें न रोकेंगे तो महान् अनर्थ हो सकता
रास्तेकी तलाश एक राजा राजकाजसे मुक्ति चाहते थे। एक दिन उन्होंने राजसिंहासन अपने उत्तराधिकारीको सौंपा और राजमहल छोड़कर चल पड़े।
परम्परा एवं रूढ़ि परम्पराओंके जन्म और दीर्घजीवी होनेके विषय में सचेत करती हुई एक झेन कथा कहती है कि एक
महात्मा गांधीजी उन दिनों चम्पारनमें थे। एक दिन वे वहाँसे बेतिया जा रहे थे। रातका समय था, ट्रेन खाली थी।
माँका दिल एक स्त्री थी। उसके पाँच बेटे थे। वह अपने पाँचों बेटोंको बहुत मानती थी। उसके बेटे भी आपसमें
विष्णुपदी गंगाजीकी अद्भुत महिमा पूर्वकालकी बात है। चमत्कारपुरमें उत्तम व्रतका पालन करनेवाले चण्डशर्मा नामसे विख्यात एक ब्राह्मण हो गये हैं,
पूज्यपाद गोस्वामी श्रीगुल्लूजी देववाणी – संस्कृत, हिंदी या व्रजभाषाको छोड़कर दूसरी भाषाका एक शब्द भी नहीं बोलते थे। उन्होंने एक
महाभारतका युद्ध निश्चित हो गया था। दोनों पक्ष अपने अपने मित्रों, सम्बन्धियों, सहायकोंको एकत्र करनेमें लग गये थे। श्रीकृष्णचन्द्र पाण्डवोंके
एक बार मुनियोंमें परस्पर इस विषयपर बड़ा विवाद हुआ कि ‘किस समय थोड़ा-सा भी पुण्य अत्यधिक फलदायक होता है तथा
किसी राज्यमें वहाँका राजकुमार बड़ा लाड़ला था। वह एक दिन रास्तेमें एक लावण्यवती युवतीको देखकर मोहित हो गया। युवती एक