
शरीरमें अनासक्त भगवद्भक्तको कहीं भय नहीं
महात्मा जडभरत तो अपनेको सर्वथा जड़की ही भाँति रखते थे। कोई भी कुछ काम बतलाता तो कर देते। वह बदले
महात्मा जडभरत तो अपनेको सर्वथा जड़की ही भाँति रखते थे। कोई भी कुछ काम बतलाता तो कर देते। वह बदले
नास्तिक और आस्तिक (म0म0 देवर्षि श्रीकलानाथजी शास्त्री ) भारतके मूर्धन्य वैज्ञानिक, नोबेल पुरस्कार विजेता, भारतरत्न चन्द्रशेखर वेंकटरामन् अत्यन्त व्यस्त होते
विभज्य भुञ्जते सन्तो भक्ष्यं प्राप्य सहाग्निना । चतुरश्चमसान् कृत्वा तं सोममृभवः पपुः ॥ (नीतिमञ्जरी 10 ) सुधन्वाके पुत्र ऋभु, विभु
संत एकनाथजीके पिताका श्राद्ध था घरमें श्राद्धकी रसोई बन रही थी। हलवा पकने लगता है तब उसकी सुन्दर सुगन्ध दूरतक
लक्ष्मीका वास किस घरमें होता है ? एक सेठजी रात्रिमें सो रहे थे। स्वप्नमें उन्होंने देखा कि लक्ष्मीजी कह रही
भगवद्विधान अमोघ होता है दैत्यमाता दितिके दोनों पुत्र हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु मारे जा चुके थे। इन्द्रकी प्रेरणा भगवान् विष्णुने वाराह
एक महात्मा थे। वे किसीके यहाँ भोजन करने गये। भोजनमें उनको थोड़ी-सी खीर मिली। उसमें उनको अपूर्व स्वाद मिला। उन्होंने
महाभारतका युद्ध समाप्त हो चुका। महाराज युधिष्ठिर एकराट्के रूपमें अभिषिक्त कर दिये गये। अब भगवान् श्रीकृष्ण सुभद्राको लेकर द्वारका लौट
‘सीख वाको दीजिये , (डॉ0 चक्षुप्रभाजी, एम0ए0, पी-एच0डी0) फाल्गुनका महीना चल रहा था। ठण्डी ठण्डी हवाके साथ धीमी-धीमी बूँदें भी
पुरानी बात है- अयोध्यामें एक संत रहते थे, वे कहीं जा रहे थे। किसी बदमाशने उनके सिरपर लाठी मारकर उन्हें