संतका सद्व्यवहार
हजरत अलीका एक सेवक उनसे झगड़कर भाग गया था। एक दिन जब कुफा शहरमें अली सबेरेकी नमाज पढ़ रहे थे,
हजरत अलीका एक सेवक उनसे झगड़कर भाग गया था। एक दिन जब कुफा शहरमें अली सबेरेकी नमाज पढ़ रहे थे,
यूनानके बादशाह रोगी हो गये थे। हकीमोंकी चिकित्सा कोई लाभ नहीं कर रही थी। अन्तमें हकीमोंने मिलकर सलाह की। उन्होंने
मङ्कि नामके एक ब्राह्मण थे। उन्होंने धनोपार्जनके लिये बहुत यल किया; पर सफलता न मिली। अन्तमें थोड़े-से बचे-खुचे धनसे उन्होंने
बाबा खड्गसेनजी बड़े ही प्रेमी भक्त थे। इनके जीवनधन व्रजेन्द्र-नन्दन श्रीकृष्णचन्द्र थे। ये उन्हींके स्मरण- चिन्तन एवं स्तवनमें व्यस्त रहते
अपनी पत्नी यशोधराको पुत्र राहुलको, हमूर्ति पिता महाराज शुद्धोदनको तथा वैभवसम्पन्न राज्यको ठुकराकर युवावस्थामें ही गौतम परसे निकले थे। केवल
‘आप घर तो नहीं भूल गये हैं? मैं इस सम्मानका पात्र नहीं हूँ।’ ‘भूले नहीं हैं, निश्चय ही हम आपकी
‘इंगलैंड नैपोलियन बोनापार्टकी निरंकुशता नहीं सह सकता है। माना, फ्रेंच क्रान्तिकारियोंने समता, स्वतन्त्रता और बन्धुताका प्रकाश फैलाया, पर नैपोलियनने अपनी
एक भक्त थे, कोई उनका कपड़ा चुरा ले गया। कुछ दिनों बाद उन्होंने उसको बाजारमें बेचते देखा । दूकानदार कह
घट-घट – व्यापक राम पंजाब में बुल्लेशाह नामक एक सन्त हो गये हैं। उनका गुरु एक माली था। एक दिन
कमलका पुत्र उपकोसल सत्यकाम जाबालके यहाँ ब्रह्मचर्य ग्रहण करके अध्ययन करता था। बारह वर्षोंतक उसने आचार्य एवं अग्रियोंकी उपासना की।