
संसारके सुखोंकी अनित्यता
किसी नगरमें एक गृहस्थके घर एक गाय पली थी। एक दिन उस गायका बछड़ा बहुत उदास हो रहा था। वह
किसी नगरमें एक गृहस्थके घर एक गाय पली थी। एक दिन उस गायका बछड़ा बहुत उदास हो रहा था। वह
‘सत्य ही एकमात्र धर्म है। सत्यको पकड़े रहनेसे सभी धर्मके अङ्ग स्वतः सिद्ध हो जाते हैं। सत्य ही मुक्तिका साधन
चूड़ीवाले बाबा नाम तो था उनका जमील खाँ, पर सब कहते थे उन्हें ‘चूड़ीवाले बाबा’। वे रहते थे शहरमें, पर
कहते हैं कि प्राचीन रोमनिवासियोंके न्यायालयों व्यापके स्थानपर एक ऐसी स्त्रीको प्रतिमा बनी रहती श्री. जिसको आँखोंके ऊपर तो कपड़े
बगदादके एक खलीफाने अपना वेतन भी निश्चित कर रखा था। राजकार्य तथा प्रजाकी सेवाके बदले वे राज्यके कोषसे प्रतिदिन संध्यासमय
हजरत अलीका एक सेवक उनसे झगड़कर भाग गया था। एक दिन जब कुफा शहरमें अली सबेरेकी नमाज पढ़ रहे थे,
यूनानके बादशाह रोगी हो गये थे। हकीमोंकी चिकित्सा कोई लाभ नहीं कर रही थी। अन्तमें हकीमोंने मिलकर सलाह की। उन्होंने
मङ्कि नामके एक ब्राह्मण थे। उन्होंने धनोपार्जनके लिये बहुत यल किया; पर सफलता न मिली। अन्तमें थोड़े-से बचे-खुचे धनसे उन्होंने
बाबा खड्गसेनजी बड़े ही प्रेमी भक्त थे। इनके जीवनधन व्रजेन्द्र-नन्दन श्रीकृष्णचन्द्र थे। ये उन्हींके स्मरण- चिन्तन एवं स्तवनमें व्यस्त रहते
अपनी पत्नी यशोधराको पुत्र राहुलको, हमूर्ति पिता महाराज शुद्धोदनको तथा वैभवसम्पन्न राज्यको ठुकराकर युवावस्थामें ही गौतम परसे निकले थे। केवल