ग्रीजेलने अपने पिताको फाँसीसे कैसे बचाया
ब्रिटेनमें तब जेम्स द्वितीयका शासन था। वह अपने अत्याचार एवं अन्यायके लिये काफी बदनाम रहा है। उसके समयमें जिसे फाँसीकी
ब्रिटेनमें तब जेम्स द्वितीयका शासन था। वह अपने अत्याचार एवं अन्यायके लिये काफी बदनाम रहा है। उसके समयमें जिसे फाँसीकी
नया मुखिया किसी गाँवमें एक बड़े अनुभवी मुखिया थे। वे गाँवकी भलाई चाहते थे और गाँव उनकी हर बात मानता
कहते हैं कि बादशाह अकबरके खजांचीकी स्त्रीका रूप बड़ा ही अपूर्व था। एक बार कहीं उसे देखकर बादशाह महामोहमें पड़
सभ्यता और सज्जनताकी कसौटी काषायवस्त्रधारी स्वामी विवेकानन्द अमेरिकाके शिकागोनगरमें सड़कसे जा रहे थे। उनका यह वेश अमेरिकावासियोंके लिये कौतूहलकी वस्तु
महाराज जीमूतकेतुके ऐश्वर्यका पार नहीं था। उन्होंने देवराज इन्द्रकी उपासना करके कल्पवृक्ष प्राप्त किया था। उनका राजभवन इतना भव्य था
(1) पाण्डव बारह वर्षका वनवास तथा एक वर्षका अज्ञातवास पूर्ण कर चुके थे। वे उपप्लव्य नगर में अब अपने पक्षके
पाँचवें नम्बरकी विजेता टीचरने सीटी बजायी और स्कूलके मैदानपर पचास छोटे-छोटे बालक-बालिकाएँ दौड़ पड़े। सबका एक लक्ष्य। मैदानके छोरपर पहुँचकर
एक अयाची वृत्तिके महात्मा काशी गये। सुबहसे शाम हो गयी, पर न तो उन्होंने किसीसे कुछ माँगा और न कुछ
महापुरुषोंके प्रति किये गये अपराधका दुष्परिणाम आंगिरस गोत्रमें उत्पन्न एक सद्गुणसम्पन्न सदाचारी विद्वान् ब्राह्मण थे। उन्होंके यहाँ जड़भरतका जन्म हुआ
एक लड़की थी। एक दिन उसने एक पण्डितजीको कथा कहते हुए सुना कि ‘भगवान्का एक नाम लेनेसे मनुष्य दुस्तर भवसागरसे