
धन है धूलि समान
‘आप घर तो नहीं भूल गये हैं? मैं इस सम्मानका पात्र नहीं हूँ।’ ‘भूले नहीं हैं, निश्चय ही हम आपकी
‘आप घर तो नहीं भूल गये हैं? मैं इस सम्मानका पात्र नहीं हूँ।’ ‘भूले नहीं हैं, निश्चय ही हम आपकी
‘इंगलैंड नैपोलियन बोनापार्टकी निरंकुशता नहीं सह सकता है। माना, फ्रेंच क्रान्तिकारियोंने समता, स्वतन्त्रता और बन्धुताका प्रकाश फैलाया, पर नैपोलियनने अपनी
एक भक्त थे, कोई उनका कपड़ा चुरा ले गया। कुछ दिनों बाद उन्होंने उसको बाजारमें बेचते देखा । दूकानदार कह
घट-घट – व्यापक राम पंजाब में बुल्लेशाह नामक एक सन्त हो गये हैं। उनका गुरु एक माली था। एक दिन
कमलका पुत्र उपकोसल सत्यकाम जाबालके यहाँ ब्रह्मचर्य ग्रहण करके अध्ययन करता था। बारह वर्षोंतक उसने आचार्य एवं अग्रियोंकी उपासना की।
ब्रिटेनमें तब जेम्स द्वितीयका शासन था। वह अपने अत्याचार एवं अन्यायके लिये काफी बदनाम रहा है। उसके समयमें जिसे फाँसीकी
नया मुखिया किसी गाँवमें एक बड़े अनुभवी मुखिया थे। वे गाँवकी भलाई चाहते थे और गाँव उनकी हर बात मानता
कहते हैं कि बादशाह अकबरके खजांचीकी स्त्रीका रूप बड़ा ही अपूर्व था। एक बार कहीं उसे देखकर बादशाह महामोहमें पड़
सभ्यता और सज्जनताकी कसौटी काषायवस्त्रधारी स्वामी विवेकानन्द अमेरिकाके शिकागोनगरमें सड़कसे जा रहे थे। उनका यह वेश अमेरिकावासियोंके लिये कौतूहलकी वस्तु
महाराज जीमूतकेतुके ऐश्वर्यका पार नहीं था। उन्होंने देवराज इन्द्रकी उपासना करके कल्पवृक्ष प्राप्त किया था। उनका राजभवन इतना भव्य था