
भगवान कृष्ण बलराम का बछङो की पुंछ पकङना
राधे राधे ब्रजराज गौशाला में बछड़ों भी सँभाल करने गये हैं और ब्रजरानी अपने प्राणधन ललन के लिये भोजन बनाने
राधे राधे ब्रजराज गौशाला में बछड़ों भी सँभाल करने गये हैं और ब्रजरानी अपने प्राणधन ललन के लिये भोजन बनाने
कबीर जी के जीवन का एक प्रसंग है। संत कबीर अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए कपड़े बुना करते थे।
.श्री नर्मदा किनारे एक उच्च कोटि के संत विराजते थे जिनका नाम श्री वंशीदास ब्रह्मचारी जी था।.उनका नित्य का नियम
एक गांव में गरीब ब्राह्मण था।।उसे अपनी कन्या का विवाह करना था।। उसने विचार किया कि राम कथा करने से
तस्वीर दिल्ली के एक साधारण टैक्सी चालक देवेन्द्र की है.देवेन्द्र मूलतः बिहार के रहने वाले हैं। एक दिन देबेन्द्र की
एक शिष्य अपने गुरु के आश्रम में कई वर्षों तक रहा। उसने उनसे शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया। एक दिन
. भीलकन्या जीवंती महाराज वृषपर्वा की प्रिय सेविका थी। जीवंती की भगवान में अटूट आस्था थी और वृषपर्वा भी इस
दीख जाइ उपबन बर सर बिगसित बहु कंज।मंदिर एक रुचिर तहँ बैठि नारि तप पुंज।। अर्थ-अंदर जाकर उन्होंने एक उत्तम
एक दिन की घटना है। एक छोटी सी लड़की फटे पुराने कपड़ो में एक सड़क के कोने पर खड़ी भीख
,मैं उस समय एक हायर सेकंडरी स्कूल में पदस्थ थी, एक दिन मैं अपनी कक्षा से छात्रों को पढ़ा कर