आत्मा और शरीर भिन्न है
जब हम कहते हैं कि आत्मा का शरीर से कोई सम्बन्ध नही है, तो सहज मे ही एक शंका उठती
जब हम कहते हैं कि आत्मा का शरीर से कोई सम्बन्ध नही है, तो सहज मे ही एक शंका उठती
हरि ॐ तत्सत वो जो परमात्मा अदृश्य, अरूप अलख अनामी अखंड अप्रगट अविनाशी निर्गुण निरलेपी निराकार व्यापक ब्रह्म है। वो
भगवान को अन्तर्मन से चिन्तन मन्न करते रहे। भगवान के सामने मांगने के लिए हाथ नहीं फैलाओ। परमात्मा के चरणों
निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निविर्कार, अनादि , अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और
हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद 🌹🙏 जिसे सचमुच में भगवान से प्रेम है वो परमात्मा के लिए एक झटके
भारत ही एक ऐसा देश हैं जहां एक से ज्यादा जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, पंथ आदि के लोग मिलजुल कर
परमेश्वर से मिलाप करने का मौका केवल मनुष्य-जन्म में ही मिलता है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह
परमात्मा को हम सुख में दुख में दोनों समय याद रखे।हम भगवान को दुख में तो बहुत भजते है। सुख
आत्म चिन्तन क्या है भगवान के एक भाव का चिन्तन करना।एक शब्द एक पंकती का अध्ययन करना उठते बैठते हुए
एक बार एक ख़ूबसूरत महिला समुद्र के किनारे रेत पर टहल रही थी। समुद्र की लहरों के साथ कोई एक