जीवन यात्रा को पुरणता की ओर लेकर जाना हैं। अनीता गर्ग

जीवन यात्रा को पुरणता की ओर लेकर जाना हैं
हमारा जन्म हुआ हमनें जीवन के सब सुख भोगते हुए परमात्मा का चिन्तन मनन नाम जप कीर्तन करते हुए अपने कर्म और कर्त्तव्य को किया एक दिन मैं सोचती हूं। कि देख तेरा जन्म हुआ है मृत्यु निश्चित है जीवन के सुख दुख खान पान मे न उलझ तेरे लक्ष्य की तरफ दृष्टि कर संसारिक सुख सत्य नहीं है भौतिक सुख में जीवन की सत्यता नहीं है वास्तविक आनंद अध्यात्म में है।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे

मै क्या चाहता हूं मेरे मन में क्या चल रहा हूं । मन को पढते रहे मन क्या सोचता है मन के अन्दर तृष्णा ने तो नहीं बिठा रखा है। हम बहुत को देखते हैं सब कुछ होते हुए भी वे प्रसन्न चित नहीं दिखते हैं क्योंकि की मन से उन्होंने शान्ति के मार्ग को नहीं अपनाया है। मन को जितना आप पकङ कर रखोगे उतने ही अन्दर से शान्त रहोंगे। प्रभु प्राण नाथ के प्रेम का अमृत मन को पिलाते रहे। राम नाम रस पिलाते रहे परमात्मा की भक्ति करते रहे। फिर प्रशन करे मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है मै क्या चाहता हूं। मन देखता है भरे भंडार सुख का स्त्रोत नहीं है मन को विचार से खाली करने में सर्व सुख निहीत है।
शरीर की मृत्यु मृत्यु नहीं है मृत्यु पर मै बार बार चिन्तन करती जन्म मृत्यु का ये चक्कर खत्म कैसे हो। हम आये हैं तब हमारे चिन्तन का विषय मृत्यु हो मृत्यु से हमे ऊपर उठना है परमात्मा का बन कर मै की मृत्यु सम्भव है मै शरीर नहीं हूं हू। मै शुद्ध चेतन आत्मा हूं मुझमें ईश्वर बस्ता है मै तो हूं ही नहीं जो दिखाई देता है वह ईश्वर है ईश्वर से भिन्न कुछ नहीं है। मृत्यु का चिन्तन जितना गहराई से करोगे उतना ही सच उजागर होगा। प्रतिदिन मृत्यु के बारे में सोचे मृत्यु अटल सत्य है अटल सत्य से हम दुर नहीं जाये नाम जप को अन्तर्मन से करते रहे मन की मलिनता छट जाती है।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे

परमात्मा का चिन्तन कर परमात्मा का ध्यान धर जब तक जीवन है सुख दुख के तराजू से ऊपर उठ आत्मानंद का चिन्तन कर यह शरीर क्षण भंगुर है पानी का बुलबुला है कब फुट जाये इसका कोई समय नहीं है अब भी चेत जा परमात्मा के नाम सिमरण और स्मरण को ध्यान में रख बीता समय वापिस नहीं आता है परमात्मा के श्री हरि के नाम की लौ जगा भगवान राम का चिन्तन मनन सिमरण करते हुए मृत्यु सुधर सकती है। मृत्यु की चादर हमें भगवान नाम परमात्मा की श्रद्धा शान्ति से सजानी है। चादर में राम नाम का धागा हो तभी चादर बुन सकती है प्रत्येक दिन हमें याद रहे मृत्यु अटल सत्य है जैसे जन्म पर सुख महसूस करते हैं मृत्यु सुखदायक हो हम प्राण छोडे तब परमात्मा के नाम ध्वनि बज रही हो प्रभु प्राण नाथ को याद करते हुए हमारे प्राण निकले हमारी हर सांस राम राम राम की पुकार करते हुए हे राम मुझे कब दर्शन दोगे हे राम तुम कब मुझे बुलाओगे हे राम हदय में कब निवास करोगे मै तुम्हे निहारते हुए प्राण छोङु ।मेरे तो आप ही है मेरी विनती को आप नहीं सुनोगे तब मेरा कोन है आप के श्री चरणों में स्थान मिल जाये हे प्रभु भगवान मै देखना चाहती हूं तुम कब दर्शन दोगे तुम मेरे सर्वस्व हो तुम स्वामी हो आत्म चिन्तन करते हुए मै और मेरापन का त्याग कर दे हम

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे
जय श्री राम अनीता गर्ग

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *