खोज अंतर्मन में
हृदय से ढूंढने पर ही परमात्मा मिलेंगे। संत महात्मा हमें मार्ग दिखा देंगे, पर लगन का दीपक हमें अपने आप
हृदय से ढूंढने पर ही परमात्मा मिलेंगे। संत महात्मा हमें मार्ग दिखा देंगे, पर लगन का दीपक हमें अपने आप
ईश्वर ने अपनी माया से चौरासी लाख योनियों की रचना की लेकिन जब उन्हें संतोष न हुआ तो उन्होंने मनुष्य
!! ताश का मर्म !! हम ताश खेलते है, अपना मनोरंजन करते है। पर शायद कुछ ही लोग जानते होंगे
आत्मचिंतन करने के लिए समर्पण भाव का जागृत होना आवश्यक है परमात्मा के मै दर्शन कर लू परमात्मा कैसा है
मनुष्य जीवन में एकनिष्ठ होना बहुत ही आवश्यक है,,एक जगह निशाना लगाने से हमारी एकाग्रता सदैव बनी रहती है। कई
महावीर कहते हैं, किससे प्रार्थना करते हो? किसकी प्रार्थना करते हो? प्रार्थना से कुछ न होगा, ध्यान में उतरो। चुप
परमात्मा आप ही जानता है, आप ही देता है। जानना उसका है, देना भी उसका है। हमें तो सिर्फ पात्र
आपका कर्तव्य केवल ‘होना’ है,यह या वह होना नहीं।’मैं हूं वह मैं हूं’ पूर्ण सत्य है।’निश्चल बनिये’ से संक्षेप में
यह जगत तुम्हारा घर है। अगर एक क्षण को भी तुम्हारा भीतर का वार्तालाप टूट जाए…सारे सत्संगों का, सारे गुरुओं
बहुत देखा। खूब देखा। जितना देख सकती थी उतना मैंने बांके बिहारी को देखा। पर तू ही बता ऐ सखी