अध्यात्मवाद (Adhyatmvad)

शांत होकर बैठ जाओ

यह जगत तुम्हारा घर है। अगर एक क्षण को भी तुम्हारा भीतर का वार्तालाप टूट जाए…सारे सत्संगों का, सारे गुरुओं

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