
एक परमात्मा ही है
पहले एक परमात्मा ही थे, वे ही परमात्मा संसार रूप से प्रकट हो गए एकोऽहं बहुस्याम् और अन्त में सब
पहले एक परमात्मा ही थे, वे ही परमात्मा संसार रूप से प्रकट हो गए एकोऽहं बहुस्याम् और अन्त में सब
मृत्यु का रहस्य जब सूक्ष्म शरीर देह से मुक्त होता है साँसें थमती हैं नाड़ियों में प्राण स्पंदन खोने लगते
अगर कोई भी यहां न हो, तो प्रकाश शून्य में गिरता रहेगा और कोई निकलेगा तो उस पर पड़ जाएगा।
मैं नहीं सोचता कि मैं उसे भलीभांति जानता हूं न ही मैं ऐसा सोचता हूं कि मैं उसे नहीं जानता
एक रात्रि की बात है, पूर्णिमा थी, मैं नदी तट पर था, अकेला आकाश को देखता था। दूरदूर तक सन्नाटा
हे परमात्मा जी मै कहती। भगवान् देख रहा है। मै जब भीघर में कार्य करती मेरा अन्तर्मन पुकारता भगवान् देखरहा
दिन के चौबीस घंटों में तुम्हें एक घंटा मौन रहना जरूरी है, जब भी तुम्हारी सुविधा हो। तुम्हारा आंतरिक संवाद
मनुष्य अपने शरीर से अपनी आत्मा को अलग करना जान जाय–इसी का नाम समाधि है। वास्तव में ध्यान और समाधि
एक भक्त आत्मचिंतन करते हुए अपने आप से बात कररहा है देख जब तक शरीर में आत्मा है तब तकप्राण
महाकुंभ साधू संतो तपस्वी त्यागीयो का महा स्नान 13 जनवरी को चार पांच लाख साधु महाकुंभ में स्नान करेगें हम