देखा बहुत देखा सखी बिहारी जी को
बहुत देखा। खूब देखा। जितना देख सकती थी उतना मैंने बांके बिहारी को देखा। पर तू ही बता ऐ सखी
बहुत देखा। खूब देखा। जितना देख सकती थी उतना मैंने बांके बिहारी को देखा। पर तू ही बता ऐ सखी
शांडिल्य उपनिषद में कहां है कि नाभि के नीचे की बाजू कुंडलिनी शक्ति का स्थान है ।यह कुंडलिनि शक्ति आठ
एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान् को अन्तर मन से धन्यवाद करे कि हे भगवान् तुमने मुझे बना कर पृथ्वी पर
तत्वप्राप्तिमें निषेधात्मक साधन मुख्य है । साधकको 3 बातोंको स्वीकार कर लेना आवश्यक है। मैं शरीर नहीं हूँ, शरीर मेरा
महाभारत में एक बात आती है कि पाँच पाण्डवों सहित द्रौपदी जब वन में विचरण कर रही थी तब एक
परम भगवान श्री कृष्ण.. वो परम आत्मा_ जो श्री, लक्ष्मी को धारण करता है अर्थात प्रकृति_ तत्व से एकात्म होता
आत्म चिन्तन का अर्थ है हम अपने आप के नजदीक है हम जीवन में यह जान जाये मुझे परमात्मा ने
एक महात्मा गंगा किनारे घूम रहे थे। एक दिन उन्होंने संकल्प कियाः ʹआज किसी से भी भिक्षा नहीं माँगूगा। जब
गुरु ने कहा– भागो मत,बासुरी बजाओ,गीत गाओ,जीवन के,जीवन के आनंद के। प्रेम करो जी भर करो क्योंकि इसी प्रेम से
संसार की सारी सिद्धियां ऋद्धियां सिर्फ मनुष्य को परमात्मा के मार्ग पर आगे न बढने देने के लिए बनाई गई