हम सब अजनबी हैं।
इस संसार के रास्ते पर हम सब अजनबी हैं।घड़ीभर का मिलना है, फिर रास्ते अलग हो जाते हैं। घड़ीभर साथ चल
इस संसार के रास्ते पर हम सब अजनबी हैं।घड़ीभर का मिलना है, फिर रास्ते अलग हो जाते हैं। घड़ीभर साथ चल
परम पिता परमात्मा को प्रणाम है परम पिता परमात्मा ही गुरु है। मेरा प्रभु ही मेरा सब कुछ है।साधक परमात्मा
परिस्थिति कैसी भी हो पर जीवन में प्रभु के ऊपर अपने विश्वास को सदैव बनाए रखना।जीवन की समस्याएं चाहे पर्वत
मन पर विचार न करके हमे परमात्मा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भगवान के जीवन चरित्र को पढते हुए भगवान
आनंद का प्राकट्य तभी होता है।जब साधक अन्तर्मन में परम पिता परमात्मा को बैठा लेता है। परमात्मा में लीन शरीर
।। जय श्रीराम जय जय हनुमान ।। प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का निवास है। इस घट-घट वासी परमात्मा का जो
हे ज्योतिर्मय! हमारा प्रणाम स्वीकार हो। हे प्रभु मनुष्य अपनी जीवनयात्रा में आवश्यकताओं, इच्छाओं में बंधा रहता है। जिनके कारण
आज का आध्यात्मिक विचार परीक्षा, प्रतीक्षा, समीक्षा भक्त के जीवन प्रतीक्षा, परीक्षा और समीक्षा में ही बीतना चाहिए क्योंकि यदि
अध्यात्म में आज हर इंसान यह मानता है की उसे सब पता है और वो सबको अपना ज्ञान बांटना चाहता
ज्ञान कोई नहीं देता है। ज्ञान प्राप्त कर के क्या करोगे जीवन अर्पण करो तब कुछ हो एक एक सांस