अध्यात्मवाद (Adhyatmvad)

हम सब अजनबी हैं।

इस संसार के रास्ते पर  हम सब अजनबी हैं।घड़ीभर का मिलना है, फिर रास्ते अलग हो जाते हैं। घड़ीभर साथ चल

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आनन्द

‌आनंद का प्राकट्य तभी होता है।जब साधक अन्तर्मन में परम पिता परमात्मा को बैठा लेता है। परमात्मा में लीन शरीर

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आज का आध्यात्मिक विचार
परीक्षा, प्रतीक्षा, समीक्षा

आज का आध्यात्मिक विचार परीक्षा, प्रतीक्षा, समीक्षा भक्त के जीवन प्रतीक्षा, परीक्षा और समीक्षा में ही बीतना चाहिए क्योंकि यदि

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