माँ दुर्गा जी कथा…. महिषासुर वध कथा
श्रीवामनपुराण के माध्यम से अध्यात्मिक प्रसंगमहिषासुर वंश कथा भाग – 1 ऋषी पुलस्त्यजी से नारदजी ने पूछा —-ऋषे ! द्विजोतम
श्रीवामनपुराण के माध्यम से अध्यात्मिक प्रसंगमहिषासुर वंश कथा भाग – 1 ऋषी पुलस्त्यजी से नारदजी ने पूछा —-ऋषे ! द्विजोतम
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर माता अन्नपूर्णा का मंदिर है। इन्हें तीनों लोकों की माता
माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।[8] नवरात्र के
१. मंत्र:सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिकेशरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते | मंत्र का अर्थ:हे नारायणी! तुम सब प्रकार का
ॐ श्रीपरमात्मने नम: माँ दुर्गाजी की नवीं शक्ति का नाम सिध्दिदात्री है | ये सभी प्रकार की सिध्दियों को देने
| ॐ श्रीपरमात्मने नम: माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनका वर्ण पूर्णत: गौर है। इस गौरता
ॐ श्रीपरमात्मने नमः माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है | इनके शरीर का रंग
माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है। माँ कालरात्रि
हमारा शरीर एक लघु ब्रह्मांड है। जैसे प्रकृति गर्म और ठंडे के एक महत्वपूर्ण रंग के माध्यम से कार्य करती
कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवें रूप है। यह अमरकोष में पार्वती के लिए