
शिव स्तुति
ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।। ॐ नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो
ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।। ॐ नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो
।। ।। ॐ श्रीं नारायणेशायै मम कण्ठं सदावतु।ॐ श्रीं केशवकान्तायै मम स्कन्धं सदावतु।।६।। ॐ श्रीं पद्मनिवासिन्यै स्वाहा नाभिं सदावतु।ॐ ह्रीं
अस्य श्री अर्गला स्तोत्र मंत्रस्य विष्णुः ऋषिः। अनुष्टुप्छंदः। श्री महालक्षीर्देवता। मंत्रोदिता देव्योबीजं। नवार्णो मंत्र शक्तिः। श्री सप्तशती मंत्रस्तत्वं श्री जगदंदा
एकदा सुखमासीनं शङ्करं लोकशङ्करम्।पप्रच्छ गिरिजाकान्तं कर्पूरधवलं शिवम्।।१।। पार्वत्युवाच-भगवन् देवदेवेश लोकनाथ जगत्प्रभो।शोकाकुलानां लोकानां केन रक्षा भवेद्ध्रुवम्।।२।। सङ्ग्रामे सङ्कटे घोरे भूतप्रेतादिके भये।दुःखदावाग्निसन्तप्तचेतसां
भोलेनाथ – परम वैष्णव शिव यानि मंगल या कल्याणकारी, वे शंकर, शम्भू, महादेव, महेश रूद्र आदि नामों से भी पुकारे
जिस दिन कान्हा खडे हुए मैया के सब मनोरथ पूर्ण हुये आज मैया ने गणपति की सवा मनि लगायी है।
गोपियाँ कृष्ण से पूछती हैं कि बता- तू जिसके ऊपर प्रसन्न होता है उसे क्या प्रदान करता है – जब
मंगल बधाई शास्त्रों और तत्वज्ञानी महापुरुषों का मत है कि श्रीराधा जी कोई भिन्न नहीं अपितु उन परम ब्रह्म श्रीकृष्ण
धार्मिक कथाओं के अनुसार, आज से पांच हजारदो सौ वर्ष पूर्व मथुरा जिले के गोकुल-महावन कस्बेके निकट “रावल गांव” में
कुँवरि किशोरी जनम लियौ सब लोक बजे सहदाने।।कहत नन्द बृषभानराय सौ और बात को जानें।आजु भैया ब्रजवासी हम सब तेरेई