
गोपीश्वरमहादेव मंदिर भगवान शिव का गोपी रूप धारण करना
स्थान – वृंदावन में यमुना किनारे वंशीवट क्षेत्र में है गोपीश्वरमहादेव मंदिर,.यह मंदिर पांच हजार वर्ष पुराना है. यहां भगवान
स्थान – वृंदावन में यमुना किनारे वंशीवट क्षेत्र में है गोपीश्वरमहादेव मंदिर,.यह मंदिर पांच हजार वर्ष पुराना है. यहां भगवान
रुद्र रूप में भगवान शिव के साथ संरेखित करने के लिए रुद्र गायत्री मंत्र का अभ्यास किया जाता है। रुद्र
प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरं।तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम्।।१।। पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामङ्गनाशनं।सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा।।२।। नवमं
शिव की महिमा निराली है,शिव के सिर गंगा बहती है,शून्य से संपूर्ण और शून्य,मृगछाला ओढे त्रिशूल धरे नंदी वाहक है
ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।। ॐ नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो
भोलेनाथ – परम वैष्णव शिव यानि मंगल या कल्याणकारी, वे शंकर, शम्भू, महादेव, महेश रूद्र आदि नामों से भी पुकारे
हरतालिका तीज ।।सभी माताओं एवं बहनों कोपावन व्रत हरतालिका तीज कीहार्दिक शुभकामनाएं……….! सुहागिनों के सबसे बड़े पर्व में से एक
ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगा
(शिव महापुराण)
‘शंकर: पुरुषा: सर्वेस्त्रिय: सर्वा महेश्वरी।’ अर्थात्- समस्त पुरुष भगवान सदाशिव के अंश और समस्त स्त्रियां भगवती शिवा की अंशभूता हैं,
ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन।तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती।। वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने।नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने।आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे।।