
भगवान शिव के 19 अवतार
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है, लेकिन बहुत ही कम लोग इन अवतारों के
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है, लेकिन बहुत ही कम लोग इन अवतारों के
*** भगवान शिव स्वयं परब्रह्म हैं।इसलिए वे अपने वास्तविक स्वरुप में यानी नग्न रहना पसंद करते हैं। लेकिन उन्होंने श्रीहरि
एक शिव मंदिर के पुजारी जी को भोले नाथ ने सपने में दर्शन दिए औऱ कहा कि कल सुबह नगर
मैं सर्वव्यापिक निराकार अनंत अकथनीय अद्धितीय अतुलनीय अवर्णनीय अभूतपूर्व अनुपम हूँ मैं वात्सल्य में हूँ भातृत्व में हूँ भक्ति में
सत सृष्टि तांडव रचयितानटराज राज नमो नमः ।हे आद्य गुरु शंकर पितानटराज राज नमो नमः ॥ गंभीर नाद मृदंगनाधबके उरे
*मैं निराकार, मैं ही आकार हूँ,**मैं महाकाल, मैं ही किरात हूँ ।।**समय का प्रारब्ध, मैं समय का ही अंत हूं,**मैं
स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी अपने पति की मृत्यु के बाद भिक्षा
भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत पुण्य कमाने के द्वार खोल देता है, इसमें महादेव के सभी भक्तों की असीम
जब भी हम किसी शिव मंदिर जाते हैं तो अक्सर देखते हैं कि कुछ लोग शिवलिंग के सामने बैठे नंदी
श्री रामचरितमानस के उत्तर काण्ड में वर्णित इस रूद्राष्टक की कथा कुछ इस प्रकार है। कागभुशुण्डि परम शिव भक्त थे।