
भक्त कोकिल जी भाग – 1
दुसायत मोहल्ला, श्रीबाँके बिहारी जी की गली में एक छोटा सा आश्रम है “सुखनिवास” । हरि जी ! भजन कीर्तन
दुसायत मोहल्ला, श्रीबाँके बिहारी जी की गली में एक छोटा सा आश्रम है “सुखनिवास” । हरि जी ! भजन कीर्तन
“समस्त घटनाक्रमों से बडी ही सुन्दर सीखने योग्य बात है कि” तू मेरे दरबार में झुकेगा तो मैं दिखूंगा, अथवा
मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास मेंना तीरथ में ना मूरत में, ना एकांत निवास मेंना मन्दिर
।। जय श्री कृष्ण ।। इटली में मुसोलिनी के यहाँ भारत के प्रतिनिधि के रूप में ओंकारनाथ गये थे। मुसोलिनी
विनय के संदर्भ में शास्त्रों में कहा गया है कि, विनय संपत्ति प्रदान कर सकता है, विनय प्रीति प्रदान कर
हनुमानजी के जीवन में यह विशेषता है कि जो इनके सम्पर्क में आया, उसे इन्होने किसी-न-किसी प्रकार भगवान् की ‘सन्निधि
श्रीहरिः (ब्रह्म बिकानो प्रेमकी हाट) ‘ऐ इला! सुन तो।’ — धीमे स्वरमें श्यामसुंदरने कहा। उनकी बात सुन मैं समीप गयी,
संत हरिदास जी के जीवन की एक घटना है। एक बार की बात है कुछ दुष्टों ने हरिदास जी को
रस राज श्री कृष्ण आनन्दरूपी चन्द्रमा हैं और श्री प्रिया जू उनका प्रकाश है। श्री कृष्ण जी लक्ष्मी को मोहित
आज का प्रभु संकीर्तन।।परमात्मा चिंतन के अनेक मार्ग है,किंतु हम जैसे गृहस्थ लोगो के लिए नाम जप सबसे सहज,सरल और