
सर्वत्र आनन्द का अनुभव करें
( पोस्ट 4 )
|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे…………सगुण के विषय में दूसरी बात कही जाती है | हम लोगों को
|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे…………सगुण के विषय में दूसरी बात कही जाती है | हम लोगों को
प्रहलाद ने भगवान से माँगा:- “हे प्रभु मैं यह माँगता हूँ कि मेरी माँगने की इच्छा ही ख़त्म हो जाए।”
संसार में त्याग से बढ़कर कोई पुण्य नही है।जिस व्यक्ति में त्याग की भावना होती है।वह सदैव त्याग के बदले
किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है
भगवन्नाम लेना जबसे शुरू किया, समझना चाहिये कि तभी से जीवन की असली शुरुआत हुई है भगवन्नाम में ऐसी अलौकिक
जय श्री राम नाम जप करें नाम जप को माला लेकर तो करे ही साथ नाम जप को अन्तर्मन मे
भगवान् की भक्तिमें आडम्बर की आवश्यकता नहीं है। बाहरी दिखावा तो वहाँ होता है, जहाँ भीतरकी अपेक्षा बाहरका—करनेकी अपेक्षा दिखानेका
एक बार श्रीकृष्ण के गुरु दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में किसी जंगल में
मन का समर्पणप्रेम का अर्पणअहंम का तर्पणऔर वहम कासंघर्षणभक्ति मनकी वेदना हैभक्ति मनकी संवेदना हैभक्ति मेरा गहना हैऔर भक्ति कोदिलमें
।।श्रीहरिः।। एक दिन ताज बीबी गोविंददेव मंदिर आयी और चौखट पर प्रणाम कर कुछ प्रणय कोप से श्री गोविंददेव जी