
सर्वत्र आनन्द का अनुभव करें ( पोस्ट 1 )
भगवान् आ गये | वे भगवान् आये | इस तरह प्रतीक्षा करनी चाहिये | सारी प्रजा भगवान् के विमान को

भगवान् आ गये | वे भगवान् आये | इस तरह प्रतीक्षा करनी चाहिये | सारी प्रजा भगवान् के विमान को

भक्ति स्वयं फल है. फल उसे कहते हैजो कर्म के पश्चात प्राप्त होता है. अगर कर्म का फल क्या होगा

।।श्रीहरिः।। श्रद्धेय श्रीराधाबाबा आप भगवान् की यह बड़ी भारी कृपा समझें कि आसक्ति आपको आसक्तिके रूपमें दीख रही है| इसका

जो मुझसे नहीं होगा। वह ध्यान देकर विचार करे कि कठिन क्या नहीं है?यह जो आप गप्प से रोटी खा

|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे…………सगुण के विषय में दूसरी बात कही जाती है | हम लोगों को

प्रहलाद ने भगवान से माँगा:- “हे प्रभु मैं यह माँगता हूँ कि मेरी माँगने की इच्छा ही ख़त्म हो जाए।”

संसार में त्याग से बढ़कर कोई पुण्य नही है।जिस व्यक्ति में त्याग की भावना होती है।वह सदैव त्याग के बदले

किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है

भगवन्नाम लेना जबसे शुरू किया, समझना चाहिये कि तभी से जीवन की असली शुरुआत हुई है भगवन्नाम में ऐसी अलौकिक

जय श्री राम नाम जप करें नाम जप को माला लेकर तो करे ही साथ नाम जप को अन्तर्मन मे