
योग का अभ्यास कैसे किया जाए
यह महत्वपूर्ण बिन्दु है ।अभ्यास के पहले साधक को भली प्रकार समझना चाहिए कि चित्त चंचल और जड़ है ।
यह महत्वपूर्ण बिन्दु है ।अभ्यास के पहले साधक को भली प्रकार समझना चाहिए कि चित्त चंचल और जड़ है ।
बहुत सारे साधकों के अपने अपने विचार हैं ! कोई साधक किसी की लिखी पुस्तक पढ़ लेता है और उसी
संकल्प महान लक्ष्य की प्राप्ति कराते हैं। संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। संकल्प के बल पर ही वानरों द्वारा
नमस्ते देवदेवेश नमस्ते राक्षसान्तक। नमस्ते वानराधीश नमस्ते वायुनन्दन।। नमस्त्रिमूर्तिवपुषे वेदवेद्याय ते नमः। रेवानदी विहाराय सहस्रभुजधारिणे।। सहस्रवनितालोल कपिरूपाय ते नमः। दशाननवधार्थाय
मन करे वही करें कुछ भी गलत नहीं होगा | नाचे , गाएं .झूमे जो भी जी में आए करें
एक बहुत बड़ी हकीकत में आज बयां करने वाला हूं आपको, आपके संतों ने गुरुओं ने आपको ये बताया होगा,
भाग…1 ईश्वर के दर्शन नहीं हो सकते। लेकिन चाहो तो स्वयं ईश्वर अवश्य हो सकते हो। ईश्वर को पाने और
यह अटल तथ्य हैं कोई भीअपनी मन मर्जी सें किसी भी मजार पर चादर फूल चढ़ाकर अलग अलग जगहों पर
मैं अपनी मैं को क्या देखता हूं ?जब मैं अपनी मैं को मैं देह हूं देखता हूं तो मैं पैदा
मकान तथा घड़ा दोनों ही मिट्टीमिट्टी से एक घड़ा बना या किसी ने (कुम्हार) ने बनाया परन्तु एक घड़ा बना