नाथ संप्रदाय के प्रारंभिक नौ नाथ की कोई समाधि नही हैं !


यह अटल तथ्य हैं कोई भी
अपनी मन मर्जी सें किसी भी मजार पर चादर फूल चढ़ाकर अलग अलग जगहों पर नव नाथ की समाधि के नाम पर भ्रांतियां नही फैलाए !
कहीं पर भी नवनाथ की समाधी बताना गलत हैं!
जीस विषय में ज्ञान नही हो उस विषय पर अपना मनमुखी ज्ञान नही जाड़े कम सें कम देखा देखी तो बिल्कुल भी दौड़ो नही !
नवनाथ तात्विक हैं !
नवनाथ स्वयंभू और अयोनिज है!
अब
थोड़ा ठहरो विचार करो मनन करो !
नवनाथ जन्म और मृत्यु से परे
अर्थात इनका ना तो जन्म हुआ ओर ना ही मृत्यु !
जीस प्रकार चारो युगों में शरीर शांत होने पर अलग अलग दाहसंस्कार कहे गए है!
सतयुग – वनदाह अथवा पवन दाह !
त्रेतायुग – जलदाह
द्वापरयुग – अग्निदाह
कलयुग – भूमिदाह का
जब कोई योगी अपनी इच्छा से अपना शरीर त्याग कर ब्रह्मस्वरुप में विलीन होता है, तोह उसके पंच भौतिक शरीर को समाधी दी जाती है !
अब नवनाथ जो हैं देवीक हैं जो योगी स्वरुप में है !
इनकी मृत्यु नही हुई है तो इनकी समाधि होने का प्रश्न ही नहीं उठता है !
यह आज भी दिव्य स्थान पर धरातल पर चेतन स्वरुप में विचरण करते हैं !
चेतन तत्व की समाधि बता कर अपनी मूर्खता का प्रचार कर रहें है़ कुछ पाखंडी!

पृथ्वी की योगी की रक्षा करते हैं नौ नाथ
सनातन धर्म की रक्षा करते हैं नौ नाथ
कई लोगो को ज्ञान नहीं होने के कारण यह बात कही जाती है कि ये इनकी समाधि है !
ये उसकी है जबकी असल बात यह है की नवनाथ चौरासी सिद्धो की चरण पादुका का स्थान होता है!
जहाँ ये प्रकट हुए ,अथवा उन्होंने उस स्थान पर तपस्या की थी या फिर भक्त को दर्शन दिये थे तो उस स्थान पर उनकी चरण कमल पादुका अथवा धुना अथवा मठ स्थापित होता है !
समाधि नही होती थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करो देखा देखी अंधाधुंध प्रचार करके के लोगो में भ्रांतियां उत्पन्न नही करे !

कुछ स्वयं घोषित नाथ और गुरु पीठ X भी स्थपित हो रहें आजकल !
तो सुनो नाथ संप्रदाय यह गुरु गम्य मार्ग है,
न की देखा देखि और पोथी पुस्तक में देख अनुसरण करने का,
नाथ संप्रदाय के बारह पंथ और उससे संबंधित गुरु परंपरा से विधिवत दीक्षित व्यक्ति ही नाथ मार्ग का साधक कहा जाता है,
जिसके लिए सम्पूर्ण नाथ योगी दर्शनी और औघड़ पूज्य है, नाथ संप्रदाय के दर्शनी योगी (कर्ण कुंडल धारी) सम्पूर्ण गुरु रूप में पूजे जाते है और यही नाथ संप्रदाय के मानद गुरुपीठ और क्षेत्रो के अधिकारी है.
जिस व्यक्ति ने नाथ मार्ग में दिक्षा और उसका आचरण न किया हो
उसे लेश ती मात्र भी “अधिकार” नही है की वह “नाथ संप्रदाय” के बारे में उपदेश दे.
कुछ लोगो ने मनमुखी हो कर अपने नाम के पीछे
“नाथ” लगाना शुरू कर दिया है और मंत्र, तंत्र, नाथ जी की सवारी, समाधि आदि के नाम पर भोले भले लोगो को लूट रहे है़!
कुछ नाथ के साथ कुछ भी लगा रहें हैं!
जिन्हें नाथ मार्ग और योग का शून्य ज्ञान है,
ऐसे अधकुचले यहॉ वहां से किताबो से कुछ भी ऊटपटांग मंत्र, यंत्र बना कर अपनी दुकाने चला रहे है़ कई लोग अपने खुद बनाए हुए उटपटांग मंत्रो और विधियों द्वारा लोगो को भ्रमित कर अपना धंधा चला रखा है.
ऐसे लोगो से हमेशा सावधान रहे !
नाथ संप्रदाय केवल नाथ योगी भेष बाहरा पंथ गुरु ग़म परंपरा हैं !

“अलख अलख” करते किसी मजार या बुत पर झाडा फूंका कर रहें हैं (जिसका अर्थ शायद उन्हें खुद को पता न होंगा)
अपना दरबार लगते है,
जिसमे भोले भले लोग अपनी समस्या का निवारण मांगने आते है, और ऐसे पाखंडियो का दावा है के इनके शरीर में “नाथजी”
( गोरक्षनाथ, मत्स्येन्द्रनाथ,जालंधर नाथ जी, कानिफ नाथ ) का संचार या प्रवेश होता है.!
और वह इन समस्याओ का निवारण कर सकते है,
जो केवल ढोंग और पैसे के साथ शिष्य सेवक बनानेका धंधा है!
जिसका संपूर्ण नाथ संप्रदाय और स्वयं भगवान गोरक्षनाथ जी भी खंडन करते है !
अतः
सभी भक्तो से विनंती है की किसी भी तथ्य पर विश्वास करने से पहले सत्य को समजे, किसी भी भक्ति मार्ग या साधना मार्ग अथवा संप्रदाय के विषय जानकारी हेतु, उसके अधिकारी, साधू अथवा योग्य साधको से मार्गदर्शन प्राप्त करे.
जिज्ञासा हो तोह नाथ संप्रदाय के दलिचे, मठ, अखाड़े में जाकर सत्य और सम्पूर ज्ञान प्राप्त करे!
साधुओ के साथ सत्संग कर संप्रदाय को समजे!

श्री नाथजी आप सभी भक्तो को मार्गदर्शन करते रहे !
शिव गोरख सर्व जगत का कल्याण करें!

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