मैं चेतन आत्मा ब्रह्म हूं

मकान तथा घड़ा दोनों ही मिट्टी
मिट्टी से एक घड़ा बना या किसी ने (कुम्हार) ने बनाया परन्तु एक घड़ा बना !
मिट्टी से (ईंट,सरिया, सीमेंट, लकड़ी) एक मकान बना या किसी ने (मिस्त्री, मज़दूर) ने बनाया परन्तु एक मकान बना !
मिट्टी से बने एक मकान में मिट्टी से ही बने एक घड़े को रख दिया या घड़ा मकान के बनने के समय उसी मकान के साथ साथ उसी मकान के अन्दर बनता रहा परन्तु मिट्टी से बने मकान के अन्दर मिट्टी से बना घड़ा रहा !
ऐसे ही प्रकृति की एक प्रक्रिया से शरीर बना तथा शरीर में अन्त:करण बना !
शरीर तथा अन्त:करण को बनाया तो प्रकृति के द्वारा ईश्वर ने !
लेकिन ईश्वर या प्रकृति ने अपनी और से कोई उपादान नहीं लगाया !
क्यों कि उपादान स्वयं चेतन आत्मा ब्रह्म है !
शरीर में अन्त:करण में चेतन के प्रतिबिम्ब बनने की क्षमता है !
इसी प्रतिबिम्ब को जीव कहते हैं !
मैं जीव अपने को जीव हूं न जानकर अपने को मैं देह हूं जानता हूं !
जब कि मुझ जीव को मैं चेतन आत्मा ब्रह्म हूं जानने के लिए यह मनुष्य शरीर मिला है !
मैं चेतन आत्मा ब्रह्म हूं जानने के लिए पहले मुझे यह जानना हो गा कि मैं देह नहीं हूं बल्कि मैं देह में रहने वाला देह में जागने सोने वाला जीव हूं !
मैं जीव हूं जाने बिना मैं चेतन आत्मा ब्रह्म हूं नहीं जान सकता !
इस लिए मुझे पहले मैं जीव हूं जानने की साधना करनी होगी !
तब ही मैं अनुभव कर पाऊं गा कि मैं चेतन आत्मा ब्रह्म हूं !
जय श्री राम



house and pot both soil A pot was made from clay or someone (a potter) made it, but a pot was made! A house was built with clay (brick, reeds, cement, wood) or someone (a mechanic, a laborer) built it, but a house was built! A pot made of clay was kept in a house made of clay or the pot was built inside the same house along with the house at the time of construction, but the pot made of clay remained inside the house made of clay! In the same way, the body was formed by a process of nature and the soul was formed in the body! God created the body and soul through nature. But God or nature did not impose any material on its own! Because the substance itself is the conscious soul Brahman! The body has the ability to become a reflection of consciousness in the antahkaran! This reflection is called life. I know myself as a body without knowing myself as a living being. While I have got this human body to know that I am the conscious soul Brahma! To know that I am the conscious soul Brahma, first I have to know that I am not the body, but I am the living being in the body and sleeping in the body. Without knowing that I am a living being, I cannot know that I am the conscious soul Brahman! That’s why I have to first do meditation to know that I am a living being! Only then will I be able to experience that I am the conscious soul Brahman! Jai Shri Ram

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