
कार्तिक माहात्म्य अध्याय – 01
. नैमिषारण्य तीर्थ में श्रीसूतजी ने अठ्ठासी हजार शौनकादि ऋषियों से कहा – अब मैं आपको कार्तिक मास की कथा
. नैमिषारण्य तीर्थ में श्रीसूतजी ने अठ्ठासी हजार शौनकादि ऋषियों से कहा – अब मैं आपको कार्तिक मास की कथा
एक इल्ली और घुण था | इल्ली बोली आओ घुण कार्तिक स्नान करे घुण बोला तू ही कार्तिक स्नान कर
महारास-महामिलन है आत्मा और परमात्मा का। इस महामिलन में न तो काम है, न गोपियों में परस्वार्थ ईर्ष्या है, न
कार्तिक मास सोमवार-10 अक्टूबर से मंगलवार- 8 नवंबर तक है । कार्तिक में दीपदान :दीपदान अर्थात दीये जलाना कार्तिक मास
. रासलीला का आरम्भ शरद् ऋतु थी। उसके कारण बेला, चमेली आदि सुगन्धित पुष्प खिलकर महक रहे थे। भगवान ने
कार्तिक का महीना 9अक्टूबर से 8नवंबर तक है ।इसे दामोदर मास भी कहते हैइसी महीने मे यशोदा मैया ने भगवान
. दशहरे से शरद पूर्णिमा तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी किरणें होती हैं। इनमें विशेष रस होते हैं।
शुभ्र पूर्णिमा की शुभ्र चँद्ररजनी थी चँद्रअमृत भरी ! उतरी शुभ्र चँद्रकमल से थी जैसे कोई शुभ्र चँद्रपरी!! जब नीलम
हमारा पति सिर्फ परमात्मा हैजिसे स्वयं हमने भूला दिया हैविधवायें बन हम सब रह रहीजीवन अपना बर्बाद किया हैहमारे दिल
स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी अपने पति की मृत्यु के बाद भिक्षा