
प्रदोष व्रत की कथा (शुक्ल पक्ष)
स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी अपने पति की मृत्यु के बाद भिक्षा

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भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत पुण्य कमाने के द्वार खोल देता है, इसमें महादेव के सभी भक्तों की असीम

कुछ वैष्णव दिनांक 06 अक्टूबर एकादशी से 35 दिन पूर्णिमा तक का कार्तिक नियम व्रत लेंगे और कुछ वैष्णव 09

पापांकुशा एकादशी महत्व और पूजन विधि गुरुवार के दिन पापांकुशा एकादशी है। हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही

नीलकंठ तुम नीले रहियो,दूध-भात का भोजन करियो,हमरी बात राम से कहियो’,इस लोकोक्ति के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि

रावण दहन होगा और पाप पर पुण्य केअधर्म पर धर्म केविजय का उत्सव मनाया जाएगा। पर रावण कभी मरता नहीं,यदि

दानवता पर देवत्व की ,असत्य पर सत्य की , अधर्म पर धर्म की एवं अन्याय पर न्याय की विजय के

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। राम ने

दशहरा (विजयादशमी व आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को

एक समय की बात है, सतयुग में महिष्मति नाम की एक सुन्दर नगरी थी। यहां इन्द्रसेन नाम के राजा शासन