
कर्म की गति गहन है,
इसे समझ लो,जो पुरुष कर्म में अकर्म देखे, कर्म माने आराधना अर्थात् आराधना करे और यह भी समझे कि करनेवाला
इसे समझ लो,जो पुरुष कर्म में अकर्म देखे, कर्म माने आराधना अर्थात् आराधना करे और यह भी समझे कि करनेवाला
कर्मयोगी बनो मगर कर्मफल के प्रति आसक्त भाव का सदैव त्याग करो, ये भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की महत्वपूर्ण और
स्वयं द्वारा स्वयं के विरुद्ध छेड़ा जाने वाला संग्राम ही संयम कहलाता है। संयम अर्थात एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध।
।। श्रीहरि: ।। महर्षि शुकदेवजी ने राजा परीक्षित को सातवें दिन समझाते हुए अंतिम उपदेश दिया- हे राजन ! मृत्युलोक
आज का आदमी मेहनत में कम और मुकद्दर में ज्यादा विश्वास रखता है। आज का आदमी सफल तो होना चाहता
दिल की आंखों से देख बिहारी जी कंहा नहीं है। बिहारी जी को जंहा पर बैठ कर पुकारो दिल के
कर्म और भाग्य में कौन महत्वपूर्ण है यह विषय हमेशा से ही विवादित रहा है। कोई भाग्य को बड़ा बताता
आज की अमृत कथा अहमदाबाद में वासणा नामक एक इलाका है। वहाँ एक कार्यपालक इंजीनियर रहता था जो नहर का
एक चाट वाला था। जब भी उसके पास चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख
” कर्म सिद्धांत “ प्रकृति अपने नियमों पर सदैव अटल रहती है। प्रकृति के अपने सिद्धांत हैं वो अपने नियमों