
एक युद्ध, स्वयं के विरुद्ध
स्वयं द्वारा स्वयं के विरुद्ध छेड़ा जाने वाला संग्राम ही संयम कहलाता है। संयम अर्थात एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध।
स्वयं द्वारा स्वयं के विरुद्ध छेड़ा जाने वाला संग्राम ही संयम कहलाता है। संयम अर्थात एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध।
।। श्रीहरि: ।। महर्षि शुकदेवजी ने राजा परीक्षित को सातवें दिन समझाते हुए अंतिम उपदेश दिया- हे राजन ! मृत्युलोक
आज का आदमी मेहनत में कम और मुकद्दर में ज्यादा विश्वास रखता है। आज का आदमी सफल तो होना चाहता
दिल की आंखों से देख बिहारी जी कंहा नहीं है। बिहारी जी को जंहा पर बैठ कर पुकारो दिल के
कर्म और भाग्य में कौन महत्वपूर्ण है यह विषय हमेशा से ही विवादित रहा है। कोई भाग्य को बड़ा बताता
आज की अमृत कथा अहमदाबाद में वासणा नामक एक इलाका है। वहाँ एक कार्यपालक इंजीनियर रहता था जो नहर का
एक चाट वाला था। जब भी उसके पास चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख
” कर्म सिद्धांत “ प्रकृति अपने नियमों पर सदैव अटल रहती है। प्रकृति के अपने सिद्धांत हैं वो अपने नियमों
मृत्यु होने पर सारी चीजें यहाँ तक शरीर भी यहीं रह जाती है।आत्मा सूक्ष्म शरीर है और इसके साथ केवल
राधेराधे! श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे वासुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं!देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरूं!! *साधकों के जीवन में सजगता