
सासु माँ कब जाएँगी..
“ बेटा सुन आज आते वक्त मेरा एक काम कर देगा?” दमयंती जी ने सोमेश से पूछा“ हाँ माँ बोलो

“ बेटा सुन आज आते वक्त मेरा एक काम कर देगा?” दमयंती जी ने सोमेश से पूछा“ हाँ माँ बोलो

सबको लगता है हमे सफलता पहली बार में ही मिल जाए, लेकिन सफलता तो बार बार असफल होने के बाद

प्रिय शंकर ने एक और प्रश्न पूछा कि तृष्णा के बाद यह ‘उपादान’ और यह ‘भव’ क्या होता है?आज की

इसे समझ लो,जो पुरुष कर्म में अकर्म देखे, कर्म माने आराधना अर्थात् आराधना करे और यह भी समझे कि करनेवाला

कर्मयोगी बनो मगर कर्मफल के प्रति आसक्त भाव का सदैव त्याग करो, ये भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की महत्वपूर्ण और

स्वयं द्वारा स्वयं के विरुद्ध छेड़ा जाने वाला संग्राम ही संयम कहलाता है। संयम अर्थात एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध।

।। श्रीहरि: ।। महर्षि शुकदेवजी ने राजा परीक्षित को सातवें दिन समझाते हुए अंतिम उपदेश दिया- हे राजन ! मृत्युलोक

आज का आदमी मेहनत में कम और मुकद्दर में ज्यादा विश्वास रखता है। आज का आदमी सफल तो होना चाहता

दिल की आंखों से देख बिहारी जी कंहा नहीं है। बिहारी जी को जंहा पर बैठ कर पुकारो दिल के

कर्म और भाग्य में कौन महत्वपूर्ण है यह विषय हमेशा से ही विवादित रहा है। कोई भाग्य को बड़ा बताता