गीता माधुर्य दसवाँ अध्याय
गीता माधुर्य(स्वामी रामसुखदास)दसवाँ अध्याय इसके सिवाय क्या आप और भी कुछ करते हैं?हाँ, उन भक्तों पर कृपा करने के लिये
गीता माधुर्य(स्वामी रामसुखदास)दसवाँ अध्याय इसके सिवाय क्या आप और भी कुछ करते हैं?हाँ, उन भक्तों पर कृपा करने के लिये
जिस सँसार सागर में लोभ की लहर एक रस है, हे परमात्मा उसमें मेरा शरीर डूब रहा है। इस सँसार
जहां भगवान ने मइया यशोदा को मुख में दिखा दिया समस्त ब्रह्मांड भगवान कृष्ण प्रतिदिन गोपियों के यहाँ माखन चुराने
प्राण का शाब्दिक अर्थ है “जीवन शक्ति। ” यह वह ऊर्जा है जिसकी हमें सांस लेने, बात करने, चलने, सोचने,
“पुनः महाभाव के सागर में लहर उठी। ये लहर सब कुछ बहा ले गयी, सब कुछ, अब कुछ पता नही
चातुर्मास में वर्ष के चार महीने आते हैं- सावन, भादों, क्वार, कार्तिक। (श्रावण, भाद्र, अश्विन, कार्तिक-मास) चातुर्मास से जुड़ी पौराणिक
सुनती हूं वृंदावन की याद सबको आ रही लेकिन क्या वास्तव में आ रही है वृन्दावन की महिमा तभी है
हनुमानजी रावण की स्वर्ण नगरी लंका को जला कर राख करके चले जाते हैं। और रावण उनका कुछ नहीं कर
यह मंत्र आत्मा की ऊर्जा को शुद्ध करने और माँ दुर्गा के प्रति विश्वास और समर्पण को बढ़ावा देने का
एक बहुत ही मशहूर महात्मा थे। उनके पास रोज ही बड़ी संख्या में लोग उनसे मिलने आते थे। एक बार